Move to Jagran APP

पंचकोशी यात्रा: रामेश्वर पहुंचा विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का जत्था

पंचकोशी यात्रा पर निकले विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का दल बुधवार को रामेश्वर स्थित शिव मंदिर पहुंचा। सविधि पूजन-अर्चन किया। दल में हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पटियाला, फिरोजपुर, लुधियाना, जालंधर, अंबाला, दिल्ली आदि के लगभग सात सौ यात्री शामिल हैं। यहां स्वामी दीनदयालुजी महाराज ने श्रद्धालुओं को पंचकोशी व क

By Edited By: Published: Thu, 20 Mar 2014 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Mar 2014 12:08 PM (IST)
पंचकोशी यात्रा: रामेश्वर पहुंचा विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का जत्था

हरहुआ। पंचकोशी यात्रा पर निकले विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालुओं का दल बुधवार को रामेश्वर स्थित शिव मंदिर पहुंचा। सविधि पूजन-अर्चन किया। दल में हरियाणा, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पटियाला, फिरोजपुर, लुधियाना, जालंधर, अंबाला, दिल्ली आदि के लगभग सात सौ यात्री शामिल हैं।

loksabha election banner

यहां स्वामी दीनदयालुजी महाराज ने श्रद्धालुओं को पंचकोशी व काशी का महात्म्य बताया। कहा कि पंचकोशी यात्रा कर प्रभु राम पाप से मुक्त हुए थे। पंचकोशी यात्रा संकल्पपूर्वक हो और अपने साम‌र्थ्य के अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए। इससे पापों का विनाश होता है। मणिकर्णिका स्थित कुंड में स्नानकर व संकल्प लेकर पंचकोशी यात्रा का विधान है। काशी के महात्म्य की चर्चा में उन्होंने कहा कि तीनों लोक से न्यारी मोक्षदायिनी नगरी काशी में तैतीस करोड़ देवी-देवता विराजमान हैं। इस नगरी के अधिष्ठाता प्रभु शंकर हैं।

काशी में उपासना का चार गुना फल उपासक को मिलता है। उपासना, तपस्या के लिए स्थान, काल व समय का महत्व है। विशेष काल में उपासक तपस्या व दान पुण्य का दस गुना लाभ काशी में ही मिलता है। पंचकोशी यात्रा से जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.