ओंकारेश्वर ने ढोल-ढमाकों संग किया नौका विहार
अधिक मास के सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पालकी यात्रा धूमधाम से निकाली गई। बाद में भगवान को नौका विहार भी कराया गया। सोमवार सायं पांच बजे पंचमुखी रजत प्रतिमा को पालकी में बैठाने से पहले आरती की गई। यहां से पंडित, पुजारी और मंदिर के कर्मचारी भोले शंभू,
ओंकारेश्वर। अधिक मास के सोमवार को भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पालकी यात्रा धूमधाम से निकाली गई। बाद में भगवान को नौका विहार भी कराया गया। सोमवार सायं पांच बजे पंचमुखी रजत प्रतिमा को पालकी में बैठाने से पहले आरती की गई। यहां से पंडित, पुजारी और मंदिर के कर्मचारी भोले शंभू, हर-हर महादेव के जयकारे लगाते हुए पालकी लेकर कोटितीर्थ घाट पहुंचे।
सबसे पहले भगवान की प्रतिमा को पंडितों द्वारा नर्मदा स्नान करवाया गया। इसके बाद दूध, दही, शहद, मिश्री, घी, पंचामृत से अभिषेक हुआ। तत्पश्चात ढोल-ढमाकों के साथ भोलेनाथ को नौका विहार करवाया गया। नौका विहार करते हुए पालकी नर्मदा के पिछले घाट पहुंची जहां श्रद्धालुओं द्वारा गुलाब के फूलों से भगवान ओंकारेश्वर की पंचमुखी रजत प्रतिमा का स्वागत किया गया।
शिवपुरी क्षेत्र से होती हुई सवारी रात्रि 8 बजे मंदिर पहुंची। पूजा पाठ, आरती के बाद भगवान का शयन हुआ। पंडित निलेश पुरोहित ने बताया कि अधिक मास में नर्मदा स्नान तथा भगवान भोलेनाथ को जल अर्पित करने से बड़ा पुण्य मिलता है।
श्रद्धालुओं की भीड़
अधिक मास में देश भर से श्रद्धालु नर्मदा स्नान और भगवान ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सोमवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंचे। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पुराने बस स्टैंड मुख्य मार्ग से नागरघाट तक जाने वाले चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया।