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पोता-पोती की अंगुलियों के सहारे, अम्मा चली गंगा नहाने..., पढ़ें खबर

उम्र सौ पर पहुंचने को। नंगे पैर सिर पर गठरी लिए वह गंगाद्वार की ओर चली आ रही हैं। बस सहारा है पोता-पोती की अंगुलियों का। हालांकि साथ में बच्चों के दादा और बेटा-बहू भी हैं।

By sunil negiEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 12:49 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 05:20 PM (IST)
पोता-पोती की अंगुलियों के सहारे, अम्मा चली गंगा नहाने..., पढ़ें खबर

शिवांग अग्रवाल, हरिद्वार। उम्र सौ पर पहुंचने को। नंगे पैर सिर पर गठरी लिए वह गंगाद्वार की ओर चली आ रही हैं। बस सहारा है पोता-पोती की अंगुलियों का। हालांकि साथ में बच्चों के दादा और बेटा-बहू भी हैं। निगाहें एकटक गंगा की ओर लगी हुई हैं। देखकर लगता है कि इसके अलावा शायद ही उन्हें किसी ओर चीज का भान होगा।
मां गंगा के प्रति आस्था खास से आम तक को हरिद्वार खींच लाती है। सोमवती अमावस्या पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला। खासकर उस वृद्ध अम्मा की आस्था को देखकर तो शीश श्रद्धा से झुक गया, जो पैरों में चप्पल न होने के बावजूद ऐसे चली आ रही हैं, जैसे पंख लग गए हों। गंगा में डुबकी लगाने के बाद मानो अम्मा की सभी मनोकामनाएं पूरी हो गईं।

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अम्मा की आस्था यहीं विराम नहीं लेती, स्नान के बाद उन्होंने घर के लिए बकायदा गंगाजली भी ली। यह नजारा है यमुनानगर से अपने पोता-पोती व बेटे-बहू के साथ स्नान को पहुंची 99 वर्षीय शांति देवी का। अम्मा ट्रेन में भीड़-भाड़ के बीच अपने पोते शैलेन्द्र, पोती खुशी, बेटे चंद्रमोहन व बहू कविता के साथ सफर तय कर हरिद्वार आई थीं। शांति देवी के अलावा मेला क्षेत्र में कई आस्थावान वृद्धजन ऐसे थे, जो लाठी-डंडे या अपनों का सहारा लेकर गंगा स्नान को पहुंचे थे।
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