अब मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत, ये है शुभ कार्य के मुहूर्त
अब खरमास की समाप्ति के बाद पुन: शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। शुभ विवाह एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत 16 अप्रैल से होगी, जो 3 जुलाई तक रहेगी।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवगुरु बृहस्पति शादी विवाह के कारक ग्रह माने जाते हैं। सूर्यदेव का संचरण जब बृहस्पति की राशि धनु तथा मीन पर होती है तो ज्योतिष में उसे खरमास कहा जाता है। अब मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। एक माह के विराम के बाद शुक्रवार से फिर से शुभ कार्य शुरू हो गया है और करीब ढाई माह तक यह सिलसिला चलेगा। इसके साथ ही गुरु की राशि में सूर्य का भ्रमण होता है।
14 अप्रैल की रात को दो बजकर तीन मिनट पर सूर्यदेव मीन राशि से उच्च राशि मेष में प्रवेश होता है। इसके साथ ही खरमास समाप्त हो मांगलिक कार्य शुरू होंगे। इस महायोग के बाद 18 अप्रेल से विवाह, यज्ञोपवीत आदि शुरू होंगे जो चार जुलाई तक चलेंगे। 14 मार्च से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, प्राण प्रतिष्ठा सहित बड़े मांगलिक कार्यों पर विराम लगा हुआ है। सूर्य प्रवेश काल की संवत 2074 की कुंडली मकर लग्न बनी है, जिसके स्वामी शनि देव हैं। शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश गुरु की राशि धनु-मीन में होता है, तब खरमास कहा जाता है। इसमें मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। मसलन शहनाई बजने का उचित समय नहीं होता है। गुरु की राशि में सूर्य का भ्रमण होता है। तब ग्रह नक्षत्रों पर मांगलिक कार्य नहीं करते हैं।
शादियों के मुहूर्त
अप्रेल, मई तथा जून में शादियों के सबसे ज्यादा मुहूर्त हैं। शहर सहित ग्रामीण अंचलों में गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। परिवार की चाहत होती है कि घर में मांगलिक कार्यक्रमों में सभी रिश्तेदार व परिजन भागीदार बनें। बच्चों के भी स्कूल-कॉलेज की छुट्टियां गर्मी में रहने से विवाह के लिए मई-जून का महीना उपयुक्त माना जाता है। शादियों के मुहूर्त अधिक होने से बाजार में भी व्यापार बढ़ेगा। इस वर्ष अप्रेल में 4, मई में 8 , जून में 9 और जुलाई में 3 मुहूर्त रहेंगे। 4 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो जाएगा जो 31 अक्टूबर तक रहेगा। 5 से 20 सितम्बर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। इनमें भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
विवाह की तारीखें
अप्रेल में 18 ,19, 28 , 29
मई में 4, 6 , 9, 12, 16 , 21, 22 27
जून में 2, ३, 5, 6, 7, 8, 18, 19, 30
जुलाई में 1, 2, 3
नवम्बर में 23, 28, 29
दिसम्बर में 3 तथा 4
खरमास का महीना 14 अप्रैल 2017 को समाप्त हो गया। हिन्दू पंचांग और ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहता है। जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है, तो अगले एक माह की अवधि को खरमास कहा जाता हैं। मान्यता है कि खरमास के दौरान मुंडन संस्कार, यज्ञोपवीत, कर्ण छेदन, गृह आरंभ, गृह प्रवेश,वास्तु पूजा, राजसी कार्य के साथ ही शुभ मांगलिक विवाह आदि शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित रहते हैं।
अब खरमास की समाप्ति के बाद पुन: शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। शुभ विवाह एवं मांगलिक कार्यों की शुरुआत 16 अप्रैल से होगी, जो 3 जुलाई तक रहेगी। इन चार महीनों के दौरान कुल 45 दिन शुभ विवाह के मुहूर्त रहेंगे। इन सबमें 29 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर विशेष अबूझ मुहूर्त रहेगा, जिसमें कईं जोड़ें विवाह बंधन में बंधेंगे। इसके साथ ही 2 जुलाई को भड़ली नवमी रहेगी, तब भी चारों तरफ गाजे-बाजें की धुन सुनाई देंगी। इसके बाद नवंबर-दिसंबर 2017 में केवल 15 दिन ही शुभ विवाह के मुहूर्त रहेंगे।