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नया घर बना रहे हैं तो उसमें ये चीज मत बनाना, रखें ये सावधानियां

इसी तरह यदि घर के नज़दीक या घर के अन्दर ही कुआँ हो तो उसमे भी श्रद्धा से कभी कभार मीठा या दूध आदि डालते रहे, बुरी बलाओं से बचाव होता रहेगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 10:09 AM (IST)
नया घर बना रहे हैं तो उसमें ये चीज मत बनाना, रखें ये सावधानियां
नया घर बना रहे हैं तो उसमें ये चीज मत बनाना, रखें ये सावधानियां
नया घर बनवाते या खरीदते समय हमें कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये बातें वास्तु और फेंग-शुई के आधार पर होना चाहिए। ऐसा न होने पर आपके पारिवारिक जीवन, स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इन उपायों को आजमाकर जिंदगी को खुशनुमा बनाया जा सकता है।
किसी असफल व्यक्ति का मकान न खरीदें। सबसे ऊपर की मंजिल का फ्लैट कभी न खरीदें। घर में सूर्य का प्रकाश व प्राकृतिक हवा अवश्य आनी चाहिए। घर के मुख्य द्वार को सड़क से थोड़ा हटकर बनवाना चाहिए।
यदि घर में दो दरवाजे हों, तो दोनों को एक साथ नहीं खोलना चाहिए। v आकार का मकान भी नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा मकान हमेशा रोगों का कारण होता है। कारावास, अस्पताल, गिरजाघर व श्मशान के आसपास का मकान नहीं खरीदना चाहिए। आड़ा-तिरछा, बेतरतीब, अनेक कोनों वाला मकान कभी नहीं खरीदना चाहिए।
मकान के मुख्य द्वार पर अष्टकोणीय दर्पण( बगुआ) अवश्य लगाएं। घर के बाहर छोटी बाउण्ड्री वॉल अवश्य बनवाएं। यदि हो सके तो हरी झाड़ियों की बाउण्ड्री वॉल जरूर बनवाएं। ऐसा करने पर नकारात्मक शक्तियां सीधे घर में प्रवेश नहीं करती हैं। यदि मकान (T) जंक्शन पर हो तो नकारात्मक शक्तियां जरूर काम करेंगी। यहां कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। इस तरह की स्थिति से बचें।
घर बनाने सम्बन्धी विशेष नियम व हिदायतें
 घर का मुख्य द्वार यदि पूर्व दिशा में हो तो सबसे उत्तम फल देगा, व्यक्ति खुशनसीब होगा। घर का मुख्य द्वार यदि पश्चिम दिशा में हो तो भी उत्तम फल देगा, इसी तरह उत्तर दिशा का मुख्य द्वार भी शुभ माना गया है। नेकी, लम्बे सफ़र, पूजा पाठ, शुभ कार्य आदि के लिए उपरोक्त तीनो दिशायों के द्वार अति शुभ फलदायी हैं।
 दक्षिण दिशा की तरफ का मुख्य द्वार अशुभ फल देने वाला माना गया है, खासकर जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि भाव नंबर ३ में हो तो उसके लिए विशेष अशुभ फलदायी होगा, ऐसे घर में वास करने वाले कोई सुख नहीं पाते, ऐसा घर अग्निकुंड समान अर्थात बहुत अशुभ फलदायी माना गया है।
शहतीर, गर्डर या छत में डाले जाने वाले बीम, घर में प्रवेश करते समय एक ही दिशा में पैरलल होने चाहिए जो की शुभ हैं। अगर सोते वक़्त काटती हुई शक्ल में हो तो अशुभ फलदायी माने गए हैं।
व्यक्ति का अपना सिंहासन (आफिस) या घर की बैठक पूर्व दिशा की ओर दिवार के मध्य भाग में या फिर अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व) में होना चाहिए। पानी की जगह व पूजा पाठ का स्थान ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।  अग्नि व चूल्हे का स्थान अग्निकोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा में शुभ है। घर से बाहर जाते वक़्त पानी का स्रोत दायें तरफ शुभ फलदायी होगा। और अग्नि बायीं तरफ पीठ पीछे ही शुभ मानी गयी है।मेहमान के रहने का स्थान उत्तर पश्चिम दिशा में शुभ है। सबसे ज़रूरी धन आदि रखने के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा बहुत शुभ मानी गयी है। घर के नज़दीक या घर के अन्दर ही (दीवार में नहीं) घर की ज़मीन में यदि पीपल का पेड़ हो तो अगर उसकी सेवा या उसकी जड़ों को पानी नहीं दिया जायेगा तो जहाँ तक भी उस पीपल का साया पड़ेगा तबाही और बर्बादी होगी।
 इसी तरह यदि घर के नज़दीक या घर के अन्दर ही कुआँ हो तो उसमे भी श्रद्धा से कभी कभार मीठा या दूध आदि डालते रहे, बुरी बलाओं से बचाव होता रहेगा।   बंद गली का आखरी घर रहने के लिए बिलकुल ना ले, ऐसे घर में औरत व बच्चों की कभी बरकत ना होगी, निहायत मनहूस, बद हवा या बुरी रूह का साया होगा, हर समय मुसीबत गले रहेगी।
रात को सोते समय सर पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए, सेहत व अन्य बातों में नेक असर होगा।

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