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टूट गया नेपाल से बनारसी तुलसी का रिश्ता

पड़ोसी देश नेपाल में भूकंप त्रासदी की वजह से पूजन पत्र के रूप में प्रचलित और पूजित बनारसी तुलसी का रिश्ता से फिलहाल वहां से टूट गया है। श्रद्धालुओं की मान्यता औेर आस्था के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु औेर उनके अवतारों राम-कृष्ण के साथ ही प्रभु हनुमान को अतिशय

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 02 May 2015 03:14 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2015 03:18 PM (IST)
टूट गया नेपाल से बनारसी तुलसी का रिश्ता

वाराणसी। पड़ोसी देश नेपाल में भूकंप त्रासदी की वजह से पूजन पत्र के रूप में प्रचलित और पूजित बनारसी तुलसी का रिश्ता से फिलहाल वहां से टूट गया है। श्रद्धालुओं की मान्यता औेर आस्था के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु औेर उनके अवतारों राम-कृष्ण के साथ ही प्रभु हनुमान को अतिशय प्रिय तुलसी पत्ती औेर मालाओं की बड़ी खेप वाराणसी के विभिन्न क्षेत्रों से नेपाल भेजी जाती थी।

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भूकंप के बाद आवागमन प्रभावित होने से वाराणसी से तुलसी और तुलसी की माला नेपाल नहीं पहुंच पा रही है। नेपाल में मची अफरातफरी के बीच श्रद्धालुओं की आवाजाही ठप होने से तुलसी की माला की मांग काफी कम हो गई है।

नेपाल के प्रमुख धार्मिक केंद्र पशुपति नाथ के अलावा भारतीय श्रद्धालु और स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में वहां के वैेष्णव देवालयों या फिर हनुमान मंदिरों में भी दर्शन- पूजन करते हैं औेर अपने आराध्य को तुलसी या तुलसी की माला अवश्य अर्पित करते है। हालांकि नेपाल में तुलसी या फिर तुलसी की माला अन्य जिलों से भी पहुंचती है मगर वाराणसी की तुलसी की मांग अधिक होने से सर्वाधिक बड़ी खेप भी यहीं से जाती है।

फूल मंडी में लगती है बोली

बनारस जनपद के विभिन्न ग्रामीण इलाकों खासकर सेवापुरी विकास खंड के गैरहा के किसान तुलसी और तुलसी की माला लेकर हर रोज ही मलदहिया फूल मंडी पहुंचते हैं। जहां पहले से मौजूद नेपाल के कारोबारियों के स्थानीय प्रतिनिधि किसानों से तुलसी और तुलसी की माला थोक भाव में खरीद लेते हैं। नेपाल जाने वाली सरकारी अथवा प्राइवेट बस के माध्यम से यह खेप वहां भेजवार्ई जाती है। नेपाल के माला कारोबारी अपने यहां के मंदिरों के इर्द-गिर्द के फुटकर कारोबरियों की तुलसी की मांग पूरी करते हैं।

मांग का ग्राफ गिरा

स्थानीय किसानों के अनुसार नेपाल में आए भूकंप से इन दिनों तुलसी और तुलसी की माला की मांग पूरी तरह ठप है। ऐसे में किसान अपना माल औने-पौने दाम पर ही स्थानीय फूल मंडी में बेचने को विवश है। किसानों ने बताया कि बनारस से पशुपति नाथ मंदिर के लिए मदार की माला भी बड़े पैमाने यहां से नेपाल जाती है।

सवा लाख तुलसी व मदार माला

स्थानीय किसानों और माला कारोबारियों के अनुसार एक सप्ताह पहले तक नेपाल में प्रतिदिन एक से सवा लाख तुलसी और मदार की मालाओं की खपत थी।

मलदहिया मंडी में माला विक्रेता राम लखन, विष्णु व रमेश का कहना है कि प्रतिदिन 75 से 80 हजार छोटी 25 से 30 हजार बड़ी मालाएं नेपाल भेजी जाती थीं। नेपाल के कारोबारी अब बोली नहीं लगा रहे हैं। ऐसे में औने-पौने दाम पर मालाएं बेचना उनकी विवशता है। गर्मी में ये मालाएं अधिक दिन तक टिक नहीं पाती हैं। नेपाल में शुक्र, शनि, सोम और मंगलवार को तुलसी और तुलसी की मालाओं की जबर्दस्त मांग निकलती है।

प्रतिमाह का कारोबार

- 3 करोड़ 75 लाख रुपये

-प्रमुख माला मंडी मलदहिया।

-तुलसी की खेती सेवापुरी विकास खंड के गैरहा में।


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