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नारियल के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है

नारियल के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है। पर सवाल यह उठता है कि आखिरकार इसमें ऐसा क्या है कि इसे भारतीय परंपराओं में इतना ऊंचा स्थान दिया गया है? ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे मात्र एक फल की जगह अध्यात्म की नजर से देखा जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 03:09 PM (IST)
नारियल के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है

नारियल के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है। पर सवाल यह उठता है कि आखिरकार इसमें ऐसा क्या है कि इसे भारतीय परंपराओं में इतना ऊंचा स्थान दिया गया है? ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे मात्र एक फल की जगह अध्यात्म की नजर से देखा जाता है।

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नारियल को भारतीय परंपरा में श्रीफल भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि नारियल इतना पवित्र फल है कि उसे हम भगवान को अर्पित कर सकते हैं। वाकई कई मायनों में यह फल बहुत विशिष्ट भी है। मीठा और पानीदार नारियल चूंकि कड़े खोल के भीतर रहता है और हम उसे छू भी नहीं सकते हैं, इसलिए यह बहुत पवित्र माना जाता है।

नारियल स्वास्थ्य के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन प्रतीक के तौर पर श्रीफल से कई संदेश और संकेत ग्रहण किए जाते हैं। एक प्रतीक के तौर पर नारियल का आकार मानव-मस्तिष्क की तरह का होता है। उसका कड़ा खोल मानव के अहं की तरह हुआ करता है। अपने रूखे-मजबूत अहम को तोड़कर ही हम जीवन का आनंद ले सकते हैं।

नारियल के खोल पर जो रेशों का जाल होता है, उसे मानवीय विकारों जैसे ईष्र्या, द्वेष, स्वार्थ और मोह के जाल के तौर पर ग्रहण किया जाता है, जिसे नारियल को फोडऩे से पहले निकाल दिया जाता है। इसे निकालकर ही निर्मल आत्मिक पवित्रता तक पहुंचा जा सकता है। यही मानव के जीवन का सत्य है, यही नारियल का भी!


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