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राजसी वैभव के साथ नंदा का सत्कार

आंखों में उल्लास के आंसू और चेहरे पर बिछोह की नमी। राजजात के पड़ावों पर कुछ ऐसे ही दृश्य साकार हो रहे हैं। नंदा नौटी से पूरी तरह विदाई लेकर कांसुवा पहुंच चुकी हैं। बेटी की विदाई के बाद नौटी में खामोशी पसरी हुई है तो कांसुवा में चारों ओर उत्साह है। राजकुवंरों क

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 11:05 AM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 02:56 PM (IST)
राजसी वैभव के साथ नंदा का सत्कार

कांसुवा [चमोली], जागरण संवाददाता। आंखों में उल्लास के आंसू और चेहरे पर बिछोह की नमी। राजजात के पड़ावों पर कुछ ऐसे ही दृश्य साकार हो रहे हैं। नंदा नौटी से पूरी तरह विदाई लेकर कांसुवा पहुंच चुकी हैं। बेटी की विदाई के बाद नौटी में खामोशी पसरी हुई है तो कांसुवा में चारों ओर उत्साह है। राजकुवंरों के गांव कांसुवा में स्वागत सत्कार में राजसी वैभव की छाप है और जयकारों के बीच हर कोई नंदा से भेंटने को आतुर। दूसरी ओर कुमाऊं के अल्मोड़ा में भी माहौल यहां से भिन्न नहीं है। नंदा मंदिर से कलशयात्रा निकाल राजजात का शुभारंभ हो गया है। अल्मोड़ा के नंदा मंदिर से डोली 24 अगस्त को रवाना होगी। यह डोली 26 अगस्त को नंदकेसरी में मुख्य राजजात में समाहित हो जाएगी।

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इससे पहले मंगलवार रात 9.30 बजे डोली अपने पड़ाव ईड़ा बधाणी से नौटी पहुंची। गांव में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। पूरी रात नौटी स्थित नंदा चौरा मंगल गीतों के साथ ही जागरों (भजन-कीर्तन) से गुंजायमान रहा। बुधवार सुबह ठीक छह बजे यहां के मुख्य पुजारी मदन मोहन मैठाणी के नेतृत्व में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम शुरू हुआ। करीब चार घंटे तक चले कार्यक्रम के बाद विदाई की तैयारियां शुरू कर दी गई। ठीक पूर्वाह्न 10.45 बजे डोली चौसिंग्या खाडू और राज छंतोली के साथ दस किलोमीटर दूर कांसुवा के लिए रवाना हुई। इस दौरान गांव में माहौल भावुक हो गया। तकरीबन पांच हजार से ज्यादा लोग शंख ध्वनि और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के बीच नंदा के साथ कांसुवा की ओर बढ़े। गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित रामेश्वर शिवालय में दर्शनकर यात्रा आगे बढ़ी। इस बीच यात्रा में देवलगढ़ सारी और नैनी की छंतोली भी शामिल हुई। अब यात्रा में राज छंतोली के साथ ही कुल छंतोलियों की संख्या तीन हो गई है। यात्रा के दौरान विभिन्न गांवों के लोग अपनी-अपनी छंतोलियों के साथ यात्रा में शामिल होंगे।

उत्साह से भरे ग्रामीण सुबह से ही नंदा पथ पर टकटकी लगाए यात्रा का इंतजार कर रहे हैं। डोली के पहुंचते ही लोग यात्रा में शामिल हो रहे हैं। दिनोंदिन यात्रियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा रही है। देवलगढ़ सारी, बैनोली, ऐरोली और रिठोली होते हुए राजजात देर शाम कांसुवा पहुंची। गुरुवार को यात्रा सेम के लिए प्रस्थान करेगी।

उधर, चमोली के घाट ब्लाक के कुरुड़ स्थित नंदा मंदिर से दशौली व और बधाण क्षेत्र की डोलियां कुरुड़ गांव से रवाना हुई। ये दोनों डोलियां अलग-अलग रास्तों से होते हुए मुख्य जात में समाहित हो जाएंगी।

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