मां को प्रसन्न करने के लिए, गर्म तेल में छन रही पूड़ियों को नंगे हाथों से बाहर निकालते हैं
भारत की संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी ही विविध भी। जहां तक बात धर्म और धार्मिक कर्मकांडो की है तो यहां विविधता का कोई अंत ही नहीं है। धार्मिक कर्मकांडो में विविधता का आलम यह है कि लोगों ने अपने इष्ट देवताओं के पूजन के लिए अपने व्यक्तिगत कर्मकांड विकसित
भारत की संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी ही विविध भी। जहां तक बात धर्म और धार्मिक कर्मकांडो की है तो यहां विविधता का कोई अंत ही नहीं है। धार्मिक कर्मकांडो में विविधता का आलम यह है कि लोगों ने अपने इष्ट देवताओं के पूजन के लिए अपने व्यक्तिगत कर्मकांड विकसित कर लिए हैं। इनमें से कुछ तो इतने विचित्र होते हैं कि उन्हें देखकर आप अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पाते हैं कि किसी की आस्था इस हद तक पहुंच सकती है।
वराणसी का यह पुजारी मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कुछ ऐसे ही कर्मकांड निभाते हैं। नवरात्रि के दौरान वाराणसी के एक मंदिर में पुजारी यह वृद्ध खौलते दूध से स्नान करता है। लेकिन सबसे हैरानी वाली बात यह है की खौलते दूध से स्नान करने के बाद भी 80 वर्ष के इस व्यक्ति के शरीर पर खरोंच तक नहीं आती।
वाराणसी के एक प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर के यह पुजारी, नवरात्रि के पहले दिन यह करतब दिखाते हैं। इस दिन मंदिर में शहर भर से लोग जुटते हैं। मंदिर के प्रांगण में 9 मिट्टी के बर्तनों में दूध खौल रहा होता है। दूध को मिट्टी से बने चूल्हों पर गर्म किया जाता है। जब दूध उबलने लगता है तो यह पुजारी एक के बाद एक सभी बर्तनों का दूध अपने शरीर पर उड़ेल लेता है। लोग यह दृश्य देखकर दंग रह जाते हैं किंतु इस पुजारी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।उनके शरीर पर कहीं भी जलने का एक दाग तक नहीं आता।
जहां मेडिकल सांइस में इस करनामे की कोइ व्याख्या नहीं हो सकती, वाराणसी के लोगों का मानना है कि यह सब दुर्गा माता की कृपा से संभव हो पाता है। आपको बता दें की यह पुजारी न सिर्फ खौलते दूध से स्नान करते हैं बल्कि पुरोहितों को भोज कराने के लिए गर्म तेल में छन रही पूड़ियों को नंगे हाथों से बाहर निकालते हैं। यह करतब करने के दौरान भी उनको कोई क्षति नहीं पहुंचती