डेढ़ सदी से ज्यादा पुरानी है वृंदावन में दीवाली पर रामलीला
भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली श्रीधाम वृंदावन की महिमा ही निराली है। यहां कृष्ण के साथ राम को पूजते हैं, तो राधा के साथ मां दुर्गा की पूजा भी भक्तिभाव से होती है। इसके अलावा विशेषता यह कि विश्वभर में रामलीला मंचन दशहरा पर्व के दौरान होता है, पर यहां उस समय रामलीला आयोजित होती हैं जब सभी जगह समापन हो चुका होता है। प्राचीनक
वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली श्रीधाम वृंदावन की महिमा ही निराली है। यहां कृष्ण के साथ राम को पूजते हैं, तो राधा के साथ मां दुर्गा की पूजा भी भक्तिभाव से होती है। इसके अलावा विशेषता यह कि विश्वभर में रामलीला मंचन दशहरा पर्व के दौरान होता है, पर यहां उस समय रामलीला आयोजित होती हैं जब सभी जगह समापन हो चुका होता है।
प्राचीनकाल से नगर में पंचायती रामलीला का आयोजन दीपावली के दौरान होता चला आ रहा है। पिछले 161 वर्षो से चली आ रही इस परंपरा का स्वरूप जरूर बदला, लेकिन समय नहीं। सन् 1852 से नगर के गणमान्य नागरिकों द्वारा छोटे रूप में शुरू किए गये रामलीला के मंचन पर बदलते जमाने का प्रभाव नजर आने लगा है। दीपक की रोशनी और बिना माइक के कलाकारों की गूंजती आवाज अब नहीं। अब रंग-बिरंगी, दूधिया रोशनी में नहाया पंडाल और अत्याधुनिक माइक सिस्टम कलाकारों के मंचन में चार चांद लगाएगा।
कृष्ण की नगर में रामलीला पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ प्रतिवर्ष आयोजित होती है। इस साल 162वां रामलीला का आयोजन होगा। जिसकी शुरूआत मंगलवार को मुकुट पूजन और गणोश शोभायात्रा के साथ वैदिक रीतिरिवाज से होगी।
डेढ़ सदी से ज्यादा पुरानी है वृंदावन में दीवाली पर रामलीला। 162वीं वर्षगांठ को भव्यतापूर्ण होगा आयोजननगर पंचायती रामलीला कमेटी के गठन में नगर के संभ्रांत नागरिकों को शामिल किया गया है। जिनमें गोवर्धन रंगाचार्य को संरक्षक, श्रीगोपाल वशिष्ठ को संयोजक, ब्रजेश शर्मा गलीवाले को अध्यक्ष, आलोक शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष, आशु गौतम महामंत्री, अनिल अग्रवाल कोषाध्यक्ष, नवल शुक्ला मंच व्यवस्थापक, संत गोपाल स्वामी व वीरेंद्र शर्मा व्यवस्था प्रमुख के रूप में रखे गये हैं।
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