रामलीला का अर्थ
राम कथा को अपने भीतर पढ़ने की कोशिश करें। आप न तो राम हैं और न सीता, बल्कि रामलीला के साक्षी हैं या द्रष्टा हैं, उसी दिन रामलीला बंद हो जाएगी
सीता हैं पृथ्वी, राम हैं आकाश। उन दोनों का मिलन ही रामलीला है। पृथ्वी और आकाश का मिलन। रामलीला
प्रत्येक के भीतर घट रही है। आपकी देह सीता है, तो आत्मा राम। आपके भीतर दोनों का मिलन हुआ है- पृथ्वी और आकाश का। मत्र्य और अमृत का। इस दौरान जो सभी कुछ घट रहा है, वह रामलीला है।
राम कथा को अपने भीतर पढ़ने की कोशिश करें। जिस दिन आप यह पहचान लेंगे कि आप न तो राम हैं और
न सीता, बल्कि रामलीला के साक्षी हैं या द्रष्टा हैं, उसी दिन रामलीला बंद हो जाएगी। यह जो सीता और राम का
मिलन आपके भीतर हुआ है या फिर जो पदार्थ और चैतन्य का मिलन हुआ-इसे मंच बना लें। दर्शक होकर बैठ जाएं। द्रष्टा बन जाएं। साक्षी हो जाएं। जैसे ही आप साक्षी हुए वैसे ही लीला के पार हो गए। यह जो रामलीला जीवन में घटी है, इसमें आप बिल्कुल खो गए। तल्लीन हो गए।
यह भूल गए कि अब आप सिर्फ द्रष्टा हैं। दुनिया के सारे कार्यों से आप विमुख हो गए। अब जाग जाएं। जागते ही आप पाएंगे कि पर्दा शून्य हो गया। न ही वहां राम हैं, न वहां सीता। खेल समाप्त हुआ। इस खेल की समाप्ति को ही हम कहते हैं : मुक्ति, मोक्ष और निर्वाण।