दो मई को खुलने है गंगोत्री-यमुनोत्री कपाट, पर अब तक नहीं बने हैं मार्ग
दो मई को अक्षयतृतीया के दिन गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी, लेकिन वर्ष 2012 व 13 में असीगंगा और भागीरथी की भीषण बाढ़ से हाईवे के अधिकांश हिस्से को बुरी तरह ध्वस्त हैं। हालत यह है कि खुद सड़क की देखरेख और निर्माण का जिम्मा संभाले बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की भारी भरकम मशीनरी भी
उत्तरकाशी। दो मई को अक्षयतृतीया के दिन गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा शुरू हो जाएगी, लेकिन वर्ष 2012 व 13 में असीगंगा और भागीरथी की भीषण बाढ़ से हाईवे के अधिकांश हिस्से को बुरी तरह ध्वस्त हैं। हालत यह है कि खुद सड़क की देखरेख और निर्माण का जिम्मा संभाले बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) की भारी भरकम मशीनरी भी लाचार साबित हो रही है। कामचलाऊ इंतजाम आने वाले यात्रा सीजन की चुनौती से कम नहीं हैं।
आपदा के बाद ऋषिकेश से गंगोत्री धाम तक का 251 किमी का गंगोत्री हाईवे अधिकांश जगहों पर पगडंडी की तरह नजर आ रहा है। ऋषिकेश से नगुण तक टिहरी जिले की सीमा में ही सात जगहों पर भूस्खलन जोन हाईवे के लिए नासूर बने हुए हैं। नगुण के बाद उत्तरकाशी जनपद में हाईवे की हालत और ज्यादा खराब है। नालूपाणी, बड़ेथी व बंदरकोट में हल्की बारिश में भी भूस्खलन का मलबा वाहनों की आवाजाही रोक देता है। उत्तरकाशी के बाद गंगोत्री तक सौ किमी के हाईवे पर करीब 30 किमी के भूस्खलन व डेंजर जोन हैं, हालांकि इन जगहों पर बीआरओ ने सड़क खोल तो दी है, लेकिन उसे दुरुस्त करने के लायक बजट मिलने के कारण गंगोत्री के कपाट खुलने तक सड़क की यही हालत रहेगी।
उत्तरकाशी नगर क्षेत्र में ही बड़ेथी के निकट गंगोत्री हाईवे पर सक्रिय नया भूस्खलन जोन भी हाईवे के लिये नासूर बनता जा रहा है।
हाईवे को पूरी तरह दुरुस्त करने के लिए बजट की जरूरत है, सड़क परिवहन मंत्रलय से इसके लिए मांग की गई है, लेकिन अभी तक बजट न मिलने के कारण सीमित संसाधनों से ही हाईवे की देखरेख व मरम्मत की जा रही है।