सतरंगी छटा में सराबोर हुई आस्था
यह आस्था की सतरंगी छटा थी। श्रद्धालुओं का उमड़ता-घुमड़ता सैलाब, शोभायात्रा के साथ आकर्षक पालकियों पर सवार भगवान के विग्रह, पारंपरिक झूलन गीतों में पगी बैंड की धुन और इन सबके स्वागत में हरियाली से सराबोर प्रशस्त प्रांगण। मौका, मणि पर्वत मेला का था। 12 दिवसीय अयोध्या का प्रसिद्ध सावन झूला म
अयोध्या, जागरण संवाददाता। यह आस्था की सतरंगी छटा थी। श्रद्धालुओं का उमड़ता-घुमड़ता सैलाब, शोभायात्रा के साथ आकर्षक पालकियों पर सवार भगवान के विग्रह, पारंपरिक झूलन गीतों में पगी बैंड की धुन और इन सबके स्वागत में हरियाली से सराबोर प्रशस्त प्रांगण।
मौका, मणि पर्वत मेला का था। 12 दिवसीय अयोध्या का प्रसिद्ध सावन झूला मेला जिस स्थल से शुरू होता है, उस मणि पर्वत को आंखों में बसा लेने और उसकी धूलि सिर-माथे पर लगा लेने के लिए बुधवार पूर्वाह्न से ही श्रद्धालुओं की कतार बंधी थी। दिन उतरने के साथ यह कतार जन सैलाब का स्वरूप लेती नजर आई और उसे शिखर का स्पर्श मिला बीच-बीच में शोभायात्राओं की आमद से। हर शोभायात्रा के साथ मणि पर्वत के प्रांगण में आस्था की हिलोर उठती और जब तक यह शांत होती, तब तक दूसरी शोभायात्रा इस प्रांगण में दस्तक के लिए सन्नद्ध होती। यह सिलसिला अंधेरा छाने के पूर्व लगभग तीन घंटे तक चला।
कनक भवन, मणिराम छावनी, रामवल्लभा कुंज, दशरथ महल, रामहर्षण कुंज, विजय राघव मंदिर, रंग महल, हनुमत निवास आदि से निकलने वाली शोभायात्रा यदि वैभव-भव्यता की नजीर रही तो ऐसी भी कई शोभायात्राएं रहीं, जो वैभव की बजाय भाव की बानगी साबित हो रही थीं। किसी ने अपने आराध्य को रिक्शे पर बिठा रखा था, तो कोई ठेले पर अपने आराध्य को सावन की सैर कराने निकला था पर समर्पण में कसर नहीं थी। शोभायात्राओं के साथ ऐसी टोली भी थी, जो पूरे मनोयोग से भजन और झूलन गीतों को स्वर दे रही थी। इस अवसर पर राम जानकी के स्वरूपों को मणि पर्वत स्थित वृक्षों की डालियों पर झुलाया भी गया और इसी के साथ झूलन गीतों एवं कजरी का स्वर भी प्रवाहित हुआ।
हालांकि कुछ मंदिरों में झूलनोत्सव सावन शुक्ल तृतीया की बजाय पंचमी को, कुछ में सप्तमी को और बाकी में एकादशी को शुरू होगा, जो सावन पूर्णिमा तक चलेगा। इस बीच स्थानीय कलाकारों सहित दूर-दराज से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां अर्पित करेंगे।