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माघी पूर्णिमा स्नान आज, पूजन के साथ करें ये उपाय तो लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी

इसी प्रकार पुराणों में मान्यता है कि भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 10 Feb 2017 07:31 AM (IST)Updated: Fri, 10 Feb 2017 12:24 PM (IST)
माघी पूर्णिमा स्नान आज, पूजन के साथ करें ये उपाय तो लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी
माघी पूर्णिमा स्नान आज, पूजन के साथ करें ये उपाय तो लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी

हिंदू धर्म में माघ महीने का बहुत ही खास महत्व होता है। इस मास का वैसे तो हर दिन पवित्र माना जाता है लेकिन पूर्णिमा का माहात्मय तो सभी दिनों से बढ़कर माना जाता है। माघ मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन होता है। मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण ही इस मास को माघ मास कहा जाता है। अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार इस वर्ष माघी पूर्णिमा आज 10 फरवरी को है।

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ब्रह्मवैवर्तपुराण में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं अत: इस पावन समय गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है। इसी प्रकार पुराणों में मान्यता है कि भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं। इस दिन किए गए यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु की पूजा कि जाती है, भोजन, वस्त्र, गुड, कपास, घी, लड्डु, फल, अन्न आदि का दान करना पुण्यदायक माना जाता है। माघ पूर्णिमा में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करके भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए। माघ मास में काले तिलों से हवन और पितरों का तर्पण करना चाहिए तिल के दान का इस माह में विशेष महत्त्व माना गया है। माघ पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इस अवसर पर गंगा में स्नान करने से पाप एंव संताप का नाश होता है तथा मन एवं आत्मा को शुद्वता प्राप्त होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला है। इस समय ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए स्नान व दान करना चाहिए।

माघ पूर्णिमा पूजन

माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी कि कथा की जाती है भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है। सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगता है।सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन होता है, इसके बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती कि जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद सभी को दिया जाता है।

माघ पूर्णिमा में गंगा स्नान

माघ माह में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व होता है. इस माह की प्रत्येक तीथि फलदायक मानी गई है।शास्त्रों के अनुसार माघ के महीने में किसी भी नदी के जल में स्नान को गंगा स्नान करने के समान माना गया है। माघ माह में स्नान का सबसे अधिक महत्व प्रयाग के संगम तीर्थ का होता है। प्रतिवर्ष माघ माह के समय प्रयाग में मेला लगता है जो कल्पवास कहलाता है प्रयाग में इस अवधि में कल्पवास बिताने की परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका समापन माघी पूर्णिमा के स्नान के साथ होता है। इस दौरान देश के सभी भागों से आए अनेक श्रद्धालु यहां संगम क्षेत्र में स्नान कर धर्म कर्म के कार्य करते हैं यह कल्पवास पूरे माघ माह तक चलता है जो माघ माह की पूर्णिमा को संपन्न होता है। माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु स्नान, दान, पूजा-पाठ, यज्ञ आदि करते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले पर भगवान विष्णु कि असीम कृपा रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान कि प्राप्ति होती है माघ स्नान पुण्यशाली होता है।

माघी पूर्णिमा स्नान का महत्व

माघी पूर्णिमा स्नान का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि सभी देवता माघ मास में गंगा स्नान के लिये पृथ्वी पर आते हैं। मानव रूप में वे पूरे मास भजन-कीर्तन करते हैं और यह देवताओं के स्नान का अंतिम दिन होता है। एक मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन ही जन्म दिया था। इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था। इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है लेकिन यदि कोई पूरे मास स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है।

माघ पूर्णिमा व्रत का महत्व

माघ पूर्णिमा को स्नान का महत्व तो है ही साथ ही इस दिन व्रत उपवास रखने व दान पुण्य करने का महत्व भी है। मान्यता है कि माघी पूर्णिमा का व्रत रखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है साथ ही विद्या प्राप्ति के लिये भी माघी पूर्णिमा स्नान शुभ फलदायी माना जाता है। माघ पूर्णिमा की पूजा में भगवान विष्णु की पूजा जाती है। पूजा के लिये सामग्री के तौर पर केले के पत्ते, फल, पंचामृत, पान-सुपारी, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा आदि का उपयोग किया जाता है। किसी विद्वान ब्राह्मण से भगवान सत्यनारायण की कथा करवाना भी इस दिन शुभ रहता है। इस दिन व्रत करने से धन, लक्ष्मी, विद्या की प्राप्ति होती है। अगर इस दिन खास उपाय करने से महालक्ष्मी भी प्रसन्न होती है। जिससे उनकी कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है और आपके घर कभी भी धन की कमी नहीं होती है। अगर आप भी महालक्ष्मी को करना चाहते है तो माघ पूर्णिमा के दिन ये उपाय करने से जरुर प्रसन्न होती है।

इस दिन को महालक्ष्मी का विशेष दिन माना जाता है। इसलिए माता को इस दिन प्रसन्न करना बहुत ही आसान होता है। इसलिए रात के समय यानी कि माघ पूर्णिमा की शुरुआत रात करीब 12 बजे माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा करें उसी समय मुख्य द्वार के दरवाजे में एक घी का दीपक जलाकर रख दें। इससे माता लक्ष्मी जरुर प्रसन्न होकर आपके घर में निवास करेगी। इस दिन पितरों का तर्पण करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। पितरों का तर्पण कर दान दें और ब्राह्मणों को भोजन कराए। इससे आपको पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी। जिससे आपको धन, बुद्धि के साथ-साथ समृद्धि मिलेगी।

माघ पूर्णिमा के दिन दान देने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन गंगा स्नान करके गरीब और जरुरतमंद लोगों को कंबल, कपास, गुड़, घी, फल अन्न आदि का दान करना चाहिए। लेकिन तिल का दान करना तो बिल्कुल न भूलें। इस दिन इसका दान करना आपके लिे बहुत ही लाभकारी हो सकता है।

अगर आप माता सरस्वती की भी कृपा पाना चाहते है तो इस दिन पूजा कर माता की असीम कृपा सकते है। इसके लिए माता इस दिन सुबह माता की विधि-विधान के साथ पूजा करें और सफेद रंग का पुष्प अर्पित करें साथ ही खीर का भोग लगाएं। इससे माता जरुर प्रसन्न होगी।


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