अष्टम देवी महागौरी का ध्यान मंत्र
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी स्वरूप हैं, जो हमें जीवन में पवित्रता और शुचिता बनाए रखने का पाठ पढ़ाती हैं। इनका वर्ण शंख व चंद्र के समान उज्जवल है। इनकी चार भुजाएं हैं। उनका धवल तन हमें अपनी मलिनता को दूर कर सच्चरित्र बनने की प्रेरणा देता है। मां का ध्यान हमारी वृत्तियों को परिमार्जित करके हमें शांति प्रदान करता है। जब हमारे
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी स्वरूप हैं, जो हमें जीवन में पवित्रता और शुचिता बनाए रखने का पाठ पढ़ाती हैं। इनका वर्ण शंख व चंद्र के समान उज्जवल है। इनकी चार भुजाएं हैं। उनका धवल तन हमें अपनी मलिनता को दूर कर सच्चरित्र बनने की प्रेरणा देता है। मां का ध्यान हमारी वृत्तियों को परिमार्जित करके हमें शांति प्रदान करता है। जब हमारे अंदर चरित्र की पवित्रता आ जाती है, तब सभी दोषों व कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इससे हमारे भीतर नैतिक व चारित्रिक बल जाग्रत होता है।
नारद पांचरात्र की कथा के अनुसार, शिवजी की प्राप्ति के लिए मां ने कठोर तपस्या की, फलत: उनका शरीर धूल-मिट्टी से मलिन हो गया। तब शिवजी ने गंगाजल से इनके शरीर को धोकर गौरवर्ण का बना दिया। इसीलिए उनका नाम महागौरी पड़ा।
आज का विचार
सफेद रंग में सभी रंग सन्निहित होते हैं। हमें विविधवर्णी स्थितियों से गुजरकर अपने जीवन में धवलता लानी चाहिए।
ध्यान मंत्र
ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुंडायै विच्चे
ओम् महागौरी देव्यै नम:।।
[पं. अजय कुमार द्विवेदी]।