प्रेम ही ईश्वर है
उनका नाम हजरत सैय्यद उस्मान था। लाल रंग का चोला पहनते थे, इसलिए उनका नाम लाल कलंदर पड़ा। दिखावे से परहेज रखने वाले कलंदर माने जाते हैं।
सूफी मत ईश्वर चिंतन और उन तक पहुंचने पर जोर देता है। एक चिंतक तारा चंद ने सूफी मत के पांच केंद्र माने हैं : कुरान, मोहम्मद साहब की जीवन यात्रा, ईसाईयत व अफलातूनी मत, हिंदू और बौद्ध मत और जरथुस्ट्र धर्म । सूफी मत पर भारतीय विचारधारा का गहरा असर पड़ा था। मूल इस्लाम से सूफियों का सीधा संबंध नहीं माना जाता, लेकिन इसकी शुरुआत इस्लामी देशों से हुई।
सूफियों का एक वर्ग सृष्टि का आरंभ विचार से मानता है, जबकि दूसरा वर्ग अंशावतारवाद से। अंशावतारवाद मानने वालों का लक्ष्य फना या निर्वाण है। इस मंजिल को पाने के लिए गुरु या पीर का होना जरूरी माना गया है। सूफीवाद में अल्लाह को माशूक के नजरिए से संबोधित कर उसे प्रेम का सबसे बड़ा स्रोत माना गया है। ऐसे दर्शन वाले संप्रदाय में उदारता, सहिष्णुता और सौहार्द का होना लाजिमी है। सूफी संत किसी धर्म की आलोचना नहीं करते। यही सोच सूफी मजारों के दरवाजे सभी के लिए खोलती है। रोजा उनके लिए तप है, तो नमाज ध्यान लगाने का जरिया। सूफी महिलाओं में राबिया, बीबी फातिमा, शाहजहां की बेटी जहांआरा का नाम बड़े अदब से लिया जाता है ।
बाबा फरीद, वारिस शाह, निजामुदीन औलिया, हासिम शाह, बुल्लेशाह, पीर दातागंज बख्श आदि महान सूफी संत हैं। इसी कड़ी में हजरत सखी लाल शाहबाज कलंदर भी आते हैं। कलंदर रूहानियत ओहदा है, जैसे पीर, फकीर! शाहबाज कलंदर का संबंध सूफियों के सौहार्दवादी वर्ग से था। उनका वास्तविक नाम हजरत सैय्यद उस्मान था। लाल रंग का चोला पहनते थे, इसलिए उनका नाम लाल कलंदर पड़ा। दिखावे से परहेज रखने वाले कलंदर माने जाते हैं। उनके गीत लोगों की जुबान पर हंै, इनमें प्रमुख था... ‘लाल मेरी पत रखियो... झूले लाल...’।
मीनाक्षी