इस तरह दुर्योधन श्रीकृष्ण और बलराम के समधी बने
महाभारत रोचक पौराणिक कथाओं का दुर्लभ ग्रंथ है। ऐसी ही एक कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। दरअसल कौरवों के नायक यानी दुर्योधन, भगवान श्री कृष्ण के समधी थे। श्रीकृष्ण के पुत्र ने साम्ब दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से हरण कर विवाह किया था।
महाभारत रोचक पौराणिक कथाओं का दुर्लभ ग्रंथ है। ऐसी ही एक कथा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। दरअसल कौरवों के नायक यानी दुर्योधन, भगवान श्री कृष्ण के समधी थे। श्रीकृष्ण के पुत्र ने साम्ब दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से हरण कर विवाह किया था।
राजकुमारी लक्ष्मणा साम्ब से प्रेम करती थीं। इसलिए उन्होंने साम्ब को हरण के लिए आमंत्रित किया। साम्ब, श्रीकृष्ण और रानी जाम्बवती के पुत्र थे। कौरव, विशेष रूप से दुर्योधन कभी नहीं चाहता था कि विवाह हो लेकिन नियति को यही पसंद था।
विवाह की बात जब कौरवों को पता चली तो उन्होंने साम्ब को बंदी बना लिया। तब यदुवंशी ने कौरवों से युद्ध करने की बात, बलराम और कृष्ण से कही। लेकिन बलराम ने कहा वो स्वयं हस्तिनापुर से साम्ब को छुड़ा लाएंगे।
बलराम जब हस्तिनापुर पहुंचे तो कौरवों ने उनका अपमान किया। तब उन्होंने अपने हल से कौरवों के अहंकार को तहस-नहस कर दिया।
उन्होने अपने हल से हस्तिनापुर को उखाड़ कर गंगा नदी में प्रवाहित करने वाले ही थे कि कौरवों ने माफी मांगते हुए साम्ब और लक्ष्मणा को दंपत्ति स्वीकारते हुए मुक्त कर दिया। इस तरह दुर्योधन श्रीकृष्ण और बलराम के समधी बने।