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आइए जानते हैं कुछ अनूठी धार्मिक परंपराओं के बारे में, जो हमारे लिए काफी लाभकारी हैं

भारत जैसे देश में हर चीज को धर्म और समाज से जोड़ दिया गया है। बड़ी बात ये है कि इन सभी चीजों का मानसिक, शारीरिक और आध्‍यात्‍मिक रूप से काफी प्रभाव जान पड़ता है। शायद यही कारण है कि हमारे बड़ों ने ऐसे कुछ धार्मिक नियम बना दिए, जिनका

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2016 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2016 04:33 PM (IST)
आइए जानते हैं कुछ अनूठी धार्मिक परंपराओं के बारे में, जो हमारे लिए काफी लाभकारी हैं

भारत जैसे देश में हर चीज को धर्म और समाज से जोड़ दिया गया है। बड़ी बात ये है कि इन सभी चीजों का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से काफी प्रभाव जान पड़ता है। शायद यही कारण है कि हमारे बड़ों ने ऐसे कुछ धार्मिक नियम बना दिए, जिनका सामाजिक रूप से समाज में तो महत्व है ही, हमारे शरीर पर भी उनका अच्छा असर पड़ता है। आइए जानते हैं ऐसी 10 अनूठी धार्मिक परंपराओं के बारे में, जो हमारे रीति के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी हैं।

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1 . पुरुषों का सिर पर चोटी रखना

वैसे हममें से बड़ी संख्या में लोग यही मानते होंगे कि सिर्फ भारत जैसे पारंपरिक देश में ही पुरुषों के सिर पर चोटी रखने का चलन है। यहां आपको ये जानकर शायद थोड़ा आश्चर्य होगा कि अन्य कई एशियाई देशों, चीन, कोरिया और जापान में भी पुरुषों के सिर पर चोटी रखने की परंपरा है। दरअसल इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी छिपा हुआ है। सुश्रुत ऋषि के अनुसार सिर हमारे शरीर का सबसे अहम हिस्सा है। सहस्त्रार चक्र में शरीर की सभी नसें आकर मिलती हैं। इसे ब्रह्मारंध्र भी माना गया है। कहते हैं कि इसी ब्रह्मारंध्र को जाग्रत करने के लिए पुरुषों में चोटी बंधने या रखने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा कहते हैं कि चोटी रखने से मस्तिष्क का यह हिस्सा सक्रीय हो जाता है और साथ ही हमारी शक्ितयों को भी बढ़ा देता है।

2 . मंदिर जाकर करनी चाहिए भगवान की परिक्रमा

सबसे पहले बता दें कि भारतीय मंदिरों को वास्तु के विशेष नियमों का ध्यान रखते हुए बनाया जाता है। इसमें मंदिर के गर्भगृह (अथवा मूलस्थान) को अहम स्थान दिया जाता है। इसको इस प्रकार से बनाया जाता है कि वहां पर पृथ्वी की अधिकतम चुंबकीय ऊर्जा उत्पन्न हो सके। इसी गर्भगृह में ही भगवान की मूर्ति को स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही ईश्वर प्रतिमा के चरणों में तांबे से बने यंत्र, घंटियां, कलश सरीखी वस्तुएं रखी जाती हैं। माना जाता है कि तांबा एनर्जी का सुचालक होता है, इस कारण से वह पृथ्वी की सकारात्मक ऊर्जा को प्रतिमा की तरफ आकर्षित करता है। इससे प्रतिमा के चारों ओर एक तरह की आभामंडल बन जाती है। अब ऐसे में जब हम प्रतिमा के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, तो यह शक्तियां हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करती है।

3 . व्रत का भी होता है अपना महत्व

आयुर्वेद से मिले ज्ञान पर विश्वास करें तो साफ है कि हमारा शरीर प्रकृति की ओर से बनाई गई एक स्वसंचालित मशीन है, जो 24 घंटे, सातों दिन मृत्यु होने तक लगातार बिना रुके काम करती रहती है। इसी मशीन के अंतर्गत आता है हमारा पाचन संस्थान भी। लगातार भोजन करने और उसे पचाने से हमारे पाचन संस्थान पर काफी दबाव पड़ने लगता है। इस वजह से उसमें टॉक्सिक पदार्थ पैदा हो जाते हैं। हफ्ते में एक दिन व्रत करने पर हमारा पेट खुद ही इन पदार्थों को बाहर निकाल देता है, ताकि शरीर स्वस्थ रह सके। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि नियमित रूप से व्रत करने के एक नहीं बल्कि कई फायदे हैं। एक शोध में ये साफ हो चुका है कि व्रत करने से कैंसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीडेज, डायबिटीज, पाचन संबंधी बीमारियां हमसे दूर रहती हैं।

4 . सुबह के समय सूर्य नमस्कार और सूर्य को जल चढ़ाना

सूर्य नमस्कार करने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। सबसे पहला नियम तो ये ही है कि ये नमस्कार सुबह-सुबह ही करना चाहिए। इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है। इसका सबसे पहला कारण ये है कि सुबह का समय ब्रह्ममूहूर्त का माना जाता है। ये वह समय होता है जब हमारे मस्तिष्क की सक्रियता सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में इस समय किया गया काम अधिक एकाग्रता और मनोयोग से होता है। इस वजह से उसमें सफलता की संभावना बढ़ जाती है। अब बात आती है कि सूर्य को अर्घ्य देने की। सुबह सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने के समय गिरते हुए जल से सूर्य के दर्शन करना हमारी आंखों के लिए काफी अच्छा रहता है। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके साथ ही सुबह सूर्य नमस्कार करने से पूरे शरीर का योगाभ्यास हो जाता है। शरीर को दिनभर के लिए ऊर्जा शक्ित मिलती है।

5 . इसलिए छूते हैं पैर

भारतीय परंपरा के अनुसार अपने से बड़ों के पैर छूना काफी संस्कारी माना जाता है। इसके प्रत्युत्तर में बड़े भी हमारे सिर पर अपना हाथ रखकर हमें आशीर्वाद देते हैं। इसके कारणों की बात करें तो सबसे पहले तो ऐसे पैर छूने से हम अपने बड़ों के प्रति अपनी भावनाएं व आदर दिखाते हैं। इसके साथ ही जब लोग अपने हाथों से बड़ों के पैरों को छूते हैं और वो अपना हाथ सिर पर रखकर आशीर्वाद देते हैं तो यह तरह का प्राकृतिक सर्किट बन जाता है। इससे उनकी ऊर्जा का प्रवाह हमारे अंदर प्रवेश करने लगता है। कहते हैं कि उस समय हमारे हाथ की ऊंगलियां और सिर रिसेप्टर का काम करने लगती हैं और हम उनमें मौजूद जैविक ऊर्जा को ग्रहण करने लगते हैं।

6 . तुलसी की करते हैं पूजा

तुलसी के पौधे का आयुर्वेद में बेहद खास महत्व बताया गया है। आपको शायद विश्वास न हो, लेकिन कहते हैं इसकी पत्तियों में पारा होता है। इसके कारण इसमें बैक्टीरिया को मारने की भरपूर क्षमता होती है। ये भी कहते हैं कि हर रोज एक तुलसी का पत्ता खाने से शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है और छोटी-मोटी बीमारियों का शरीर पर कोई असर नहीं होता। सिर्फ यही नहीं, यह भी माना जाता है कि तुलसी के पास सांप, मच्छर और मक्खियां सरीखे हानिकारक जीव नहीं आते। इस तरह से इसे घर में रखने पर जहां इन जीवों से बचाव होता है, वहीं जरूरत पडऩे पर तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल भी कई कार्यों में किया जा सकता है। यहां तुलसी के पौधे को लेकर एक बेहद जरूरी बात है बताने को, वह ये कि तुलसी की पत्तियों को कभी भी दांतों से नहीं चबाना चाहिए। चाहें तो इसको पानी से निगल लें। ऐसा न करने पर दांतों के खराब होने का खतरा रहता है।

7 . महिलाएं हाथों में पहनती हैं चूड़ीयां

वैज्ञानिक बताते हैं कि हाथों की कलाई में नसों का बड़ा जाल होता है। बताते हैं कि जहां हाथ करके आदमी की धड़कन देखी जाती है, यहां पर सही तरह से दबाव देकर शरीर के रक्तचाप को पूरी तरह से नियमित किया जा सकता है। यही कारण है कि औरतों के लिए चूड़ियां पहननी जरूरी है। ऐसा करने से कलाइयों पर चूड़ियों का घर्षण होता है और उनकी नसों पर दबाव पड़ता है। ऐसा करने से उनका स्वास्थ्य ठीक बना रहता है।

8 . पीपल के पेड़ की करते हैं पूजा

उपयोगिता के नजरिए से पीपल का पेड़ आम लोगों के लिए साधारण हो सकता है, लेकिन आयुर्वेद की कथनी पर गौर करें तो इसका दवाओं में विशेष महत्व है। सभी पेड़-पौधों में पीपल का पेड़ ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जो रात के समय ऑक्सीजन बनाता है। पीपल की इसी फितरत के कारण इसे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार भगवान स्वरूप माना जाता है। इसी कारण से इसकी पूजा भी की जाती है।

9 . महिलाएं मांग में भरती हैं सिंदूर

हिंदू परंपरा के अनुसार शादी के बाद महिलाओं की मांग में सिंदूर होना जरूरी माना गया है। इसको सुहाग की निशानी बताया गया है। अब जानते हैं इसको लगाने का वैज्ञानिक कारण। सिंदूर को टर्मेरिक लाइम और पारे से मिलाकर बनाया जाता है। जहां एक ओर पारा शरीर के ब्लडप्रेशर को नियमित करता है, वहीं औरतों की कामेच्छा को भी उत्तेजित करता है। ऐसा करने से मस्तिष्क का तनाव भी दूर होता है। यही कारण है कि विधवाओं तथा कुंवारी महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना निषेध किया गया है।

10 . इसलिए छिदवाते हैं नाक और कान

भारतीय परंपरा के अनुसार महिलाओं में प्रचलित इस परंपरा का पूरी तरह से लेना-देना शारीरिक स्वास्थ्य से ही है। भारतीय चिकित्साशास्त्रियों से मिली जानकारी पर गौर करें तो कान और नाक की कुछ नसों का सीधे दिमाग के सोचने वाले प्रतिक्रिया करने वाले भाग से संबंध होता है। कहते हैं कि नाक और कान को छिदवाने से दिमाग की इन नसों पर दबाव पड़ता है। इससे मस्तिष्क की अतिसक्रियता खत्म होकर नियंत्रण में आ जाती है।


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