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षट्तिला एकादशी में होता है तिल के 6 रूपों का महत्‍व

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का महत्वपूर्ण स्थान होता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला कहते हैं।

By Molly SethEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 03:36 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 03:38 PM (IST)
षट्तिला एकादशी में होता है तिल के 6 रूपों का महत्‍व
षट्तिला एकादशी में होता है तिल के 6 रूपों का महत्‍व

पद्मपुराण में हैं एकादशी का महत्‍व

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पौराणिक मान्‍यता के अनुसार हर साल आने वाली 24 एकादशियों में से माघ माह के कृष्‍ण पक्ष आने वाली एकादशी को षट्तिला एकादशी कहते हैं। हालाकि जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराण में एकादशी का बहुत ही महात्मय बताया गया है। इसके साथ ही उसके विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है। पद्मपुराण के ही एक स्‍थान पर षट्तिला एकादशी की जानकारी दी गई है। 

तिल के छह रूप हैं खास 

इस व्रत में तिल का छ: रूप में दान करना अत्‍यंत फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि व्यक्ति जितने रूपों में तिल का दान करता है उसे उतने हज़ार वर्ष ही स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है। जिन 6 प्रकार के तिल दान की बात कही है वह इस प्रकार हैं 1. तिल मिश्रित जल से स्नान 2. तिल का उबटन 3. तिल का तिलक 4. तिल मिश्रित जल का सेवन 5. तिल का भोजन 6. तिल से हवन। इन चीजों का स्वयं भी प्रयोग करें और योग्‍य व्‍यक्‍ति को दान में भी दें। कहते हैं कि इस प्रकार षट्तिला एकादशी का व्रत रखने से भगवान उनको अज्ञानता पूर्वक किये गये सभी अपराधों से मुक्त कर देते हैं और स्वर्ग में स्थान प्रदान करते हैं। 


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