125 वर्ष पूरा करेगी ख्वाजाहाल की रामलीला
नवरात्र में होने वाली इस बार तीन स्थानों पर खास रहने वाली है। वजह यह कि जिले की तीन रामलीला अपने सफर के मुकामी वर्ष इस साल पूरा करेंगी। रुदौली के ख्वाजाहाल में होने वाली 125वां, चौक बजाजा में होने वाली एक सौ बीसवां व हैदरगंज की 50वां साल पूरा करेगी। अपने 125वें साल में प्रवेश करने जा रही ख्वाजाहाल रुदौली में इस बार बृज
फैजाबाद। नवरात्र में होने वाली इस बार तीन स्थानों पर खास रहने वाली है। वजह यह कि जिले की तीन रामलीला अपने सफर के मुकामी वर्ष इस साल पूरा करेंगी। रुदौली के ख्वाजाहाल में होने वाली 125वां, चौक बजाजा में होने वाली एक सौ बीसवां व हैदरगंज की 50वां साल पूरा करेगी। अपने 125वें साल में प्रवेश करने जा रही ख्वाजाहाल रुदौली में इस बार बृजमंडल के कलाकार करेंगे।
प्राचीनता के लिहाज से जिले में सर्वाधिक पुरानी रामजानकी मंदिर साहबगंज की है। साहबगंज में रामलीला की शुरुआत वर्ष 1871 से हुई। तब से लेकर अब तक साहबगंज में यह आयोजन हो रहा है। इसके दूसरे नंबर पर रुदौली के ख्वाजाहाल में होने वाली है, जो 125वां साल पूरा करेगी। ख्वाजाहाल में इसका आयोजन वर्ष 1890 से किया जा रहा है। तीसरे नंबर पर प्राचीनतम में चौक बजाजा की है, जो इस बार अपना 120वां साल पूरा करेगी। इसके बाद फतेहगंज में होने वाली रामलीला का नंबर आता है। फतेहगंज में का आरंभ सन 1927 में हुआ। आयोजन का 50वां वर्ष पूरा करने जा रही हैदरगंज में होने वाली की शुरुआत सन 1965 में हुई थी, जबकि कोठापार्चा में 1972 में का आरंभ हुआ।
सिविल लाइंस के रामलीला का पुरवा में होने वाली की शुरुआत सन 1975 में हुई। शंकरगढ़ बाजार में होने वाली वर्ष 1976 तो वजीरगंज जप्ती में होने वाली वर्ष 1978 में शुरू हुई। रुदौली के ही भैवरधाम में होने वाली सन 1984 में शुरू हुई। इनमें हैदरगंज को छोड़कर अन्य स्थानों पर अभी भी कलाकारों द्वारा ही का आयोजन किया जाता है। हैदरगंज में अब वीडियो पर का प्रसारण किया जाता है।
स्थान के अभाव की वजह से चंद वर्ष पूर्व परदे पर इसका प्रसारण करने की शुरुआत हुई। इसके अतिरिक्त अयोध्या में राजेंद्र निवास व स्मारक सदन में भी इसका आयोजन किया जाता है।