प्रेम में दीवानी हुईं विदेशी गोपियां
भक्ति की राह पर चल पड़ी हैं दो विदेशी बालाएं। खुद राधा बन कृष्ण के प्रेम की चाह लिए घूम रही इन बालाओं के लिए सरहदें कोई मायने नहीं रखतीं। चाह है तो बस कान्हा को पा लेने की।
भक्ति की राह पर चल पड़ी हैं दो विदेशी बालाएं। खुद राधा बन कृष्ण के प्रेम की चाह लिए घूम रही इन बालाओं के लिए सरहदें कोई मायने नहीं रखतीं। चाह है तो बस कान्हा को पा लेने की।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाने कुशीनगर आईं उजबेकिस्तान की अल्पसंख्यक समुदाय की शाख नोज को राधा-कृष्ण के प्रेम (भक्ति भाव) ने ऐसा प्रभावित किया कि वे कृष्ण प्रेम में बावली हो उठीं।
उनका कहना है कि अपने देश में एक आयोजन में इस भक्ति भाव ने उन्हें प्रभावित किया।1999 में गोपालकृष्ण महाराज से दीक्षा लेने के बाद शाख नोज ने अपना नाम बदलकर सुंदरी देवी दास रख लिया और तबसे वह कृष्ण प्रेम में गीत गा रही हैं। उनके साथ मॉस्को की रहने वाली याना (वर्तमान में इंद्राणी देवी दास) जो अब जर्मनी में रहती हैं भी इसी राह पर सुंदरी के साथ हैं।
शुक्रवार को बातचीत में दोनों विदेशी बालाओं ने कहा कि वे राधा बनकर कृष्ण को पाना नहीं चाहती, बल्कि उनकी होना चाहती हैं। प्रेम ही भक्ति का वह मार्ग है, जो कृष्ण के करीब हमें ले जाता है। विश्व के विभिन्न देशों में होने वाले कृष्ण से जुड़े आयोजनों में शरीक होती हैं।