भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला..
रघुनंदन भगवान श्रीराम के जन्म के समय चारों दिशाओं से देवताओं ने हर्ष ध्वनि करते हुए पुष्प वर्षा की थी। ऋषि, मुनियों ने गाया था- भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी। मंगलवार को वैसी ही खुशियां कोठी मीना बाजार में आयोजित राम कथा में दिखाई दीं। सभी ने हर्षित होकर जयघोष किए। नृत्य कर एक दूसरे को बधाइयां दीं
आगरा। रघुनंदन भगवान श्रीराम के जन्म के समय चारों दिशाओं से देवताओं ने हर्ष ध्वनि करते हुए पुष्प वर्षा की थी। ऋषि, मुनियों ने गाया था- भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी।
मंगलवार को वैसी ही खुशियां कोठी मीना बाजार में आयोजित राम कथा में दिखाई दीं। सभी ने हर्षित होकर जयघोष किए। नृत्य कर एक दूसरे को बधाइयां दीं। रामकथा में मंगलवार का प्रसंग पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्म का था। कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि जब- जब होय धरम की हानि, बाढ़हि असुर अधर्म अभिमानी। यानि जब- जब धरती पर अधर्म बढ़ा, तब- तब भगवान अवतार लेते हैं। भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं। जब भी प्रेम से पुकारोगे, चले आएंगे। धरती ने गाय के रूप में प्रभु को पुकारा तो वे चले आए। राम जन्म की घोषणा होते ही पंडाल में खुशी छा गई। बधाई गीत पर महिलाओं ने नृत्य किया।
गर्भवती माताएं अपनाएं सात्विकता -युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए कथा व्यास ने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रही है। इससे भारतीय परंपरा और संस्कृति प्रभावित हो रही है। कथा व्यास ने इसका जिम्मेदार माताओं को बताया। उन्होंने कहा कि गर्भकाल में माताओं का चिंतन, मनन, खान- पान, पठन- पाठन, रहन- सहन जैसा होगा, वैसा ही शिशु पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए गर्भवती माताओं को अपना ध्यान रखना चाहिए। उनकी जिम्मेदारी है कि वह अपने विचारों को सात्विक रखें। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण, अहिल्या उद्धार, प्रहलाद की भक्ति के प्रसंग सुनाए।
इन्होंने किए पूजन -राम कथा से पूर्व चिंताहरण मंदिर के महंत कमल किशोर शास्त्री ने व्यास पूजन कराया।