कौसरनाग यात्रियों की सुरक्षा पर सरकार असमंजस में
पितृपक्ष पर कौसरनाग झील के किनारे श्राद्ध-तर्पण की तैयारी में ऑल पार्टीज माइग्रेंटस कोआर्डिनेशन कमेटी (एपीएमसीसी) द्वारा मांगी गई सुरक्षा को लेकर सरकार असंमजस की स्थिति में है। सरकार अभी भी कौसरनाग धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल मानकर यात्रा पर जाने वाली टीम को सुरक्षा मुहैया करवाने से पीछा छुड़ाने
जम्मू, जागरण संवाददाता। पितृपक्ष पर कौसरनाग झील के किनारे श्राद्ध-तर्पण की तैयारी में ऑल पार्टीज माइग्रेंटस कोआर्डिनेशन कमेटी (एपीएमसीसी) द्वारा मांगी गई सुरक्षा को लेकर सरकार असंमजस की स्थिति में है। सरकार अभी भी कौसरनाग धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल मानकर यात्रा पर जाने वाली टीम को सुरक्षा मुहैया करवाने से पीछा छुड़ाने की फिराक में है, जबकि एपीएमसीसी नेता भी करमसरस-विष्णुपाद कौसरनाग पर यात्रा ले जाने पर अडिग हैं।
संगठन के चेयरमैन विनोद पंडित ने सरकार के रवैये पर अफसोस जताते हुए कहा कि जो भी हो 15 सितंबर को यात्रा कौसरनाग अवश्य ही जाएगी। इसके लिए सरकार सुरक्षा मुहैया करवाए या नहीं। वह सरकार से मांगी गई सुरक्षा के लिए पंद्रह सितंबर तक इंतजार करेंगे, लेकिन न मिलने पर भी उनकी पितृपक्ष पर जाने की योजना में कोई अंतर नहीं आएगा।
उन्होंने डिप्टी कमिश्नर कुलगाम द्वारा इस संबंध में दिए गए बयान की भी निंदा की जिसमें उन्होंने कहा है कौसरनाग झील एक पर्यटन स्थल है। कोई भी पर्यटक बड़े आराम से वहां पर आ जा सकता है। डीसी कुलगाम ने अपने बयान में यह भी कहा था कि यात्रा का महत्व कोई अमरनाथ यात्रा जैसा नहीं है इसलिए सुरक्षा बंदोबस्त की बात करना ही निरर्थक है।
विनोद पंडित ने सरकार के रवैये को दोगली नीति बताया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरकार ने यात्रा रोकने का सारा इल्जाम प्रशासन के मत्थे मढ़ कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। अब प्रशासन पुराना राग अलाप रहा है। इससे स्पष्ट है कि अलगाववादियों का दबाव अब भी सरकार पर बना हुआ है।
विदित हो कि एपीएमसीसी 15 से 17 सितंबर तक पितृपक्ष के अवसर पर पितरों की आत्माओं की शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण करने के लिए कौसरनाग तीर्थस्थल पर बीस लोगों की एक टीम को यात्रा के रूप में ले जा रही है।
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