रेट्रोफिटिंग से भूकंपरोधी बनेगा केदारनाथ मंदिर
भीषण प्राकृतिक त्रासदी को झेलने वाले केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर सरकार अब बेहद संजीदा नजर आ रही है। भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) के अधिकारी मंदिर को भूकंपरोधी बनाने में जुट गए हैं। चार मई को केदारन्
देहरादून: भीषण प्राकृतिक त्रासदी को झेलने वाले केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर सरकार अब बेहद संजीदा नजर आ रही है। भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) के अधिकारी मंदिर को भूकंपरोधी बनाने में जुट गए हैं।
चार मई को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के चंद दिनों में ही इस दिशा में धरातल स्तर पर काम शुरू कर दिया जाएगा। केदारनाथ मंदिर रवानगी से पहले एएसआइ अधिकारी दिल्ली में अगले सप्ताह महानिदेशक कार्यालय में बैठक कर तैयारियों को अंतिम रूप देंगे। एएसआइ के अधीक्षण पुरातत्वविद अतुल भार्गव ने बताया कि रेट्रोफिटिंग तकनीक से मंदिर को भूकंपरोधी बनाया जाएगा। इससे मंदिर की ढांचागत स्थिति काफी मजबूत हो जाएगी।
यह कार्य आइआइटी चेन्नई को दिया जा रहा है। इसके लिए 67 लाख रुपये जारी कर दिए गए हैं। आइआइटी की टीम सबसे पहले ढांचागत दशा का आंकलन करेगी। इससे पता चलेगा कि आपदा से मंदिर को कितना व किस रूप में नुकसान पहुंचा है। इसी के अनुसार मरम्मत आदि का कार्य किया जाएगा। श्री भार्गव के मुताबिक अगले सप्ताह होने वाली बैठक में तय होगा कि स्ट्रक्चरल अध्ययन व रेट्रोफिटिंग आदि के अलावा केदारनाथ में क्या-क्या काम किए जाने हैं।
केदारघाटी ठेले जा रहे बूढ़े बेलदार-
चारधाम के कपाट खुलने से पहले
सड़कों की मरम्मत में तेजी लाने के
लिए लोक निर्माण विभाग ने क्या गजब की 'फुर्ती' दिखाई है। जो बूढ़े व उम्रदराज बेलदार-मेट शहरी क्षेत्रों में तक ढंग से काम नहीं कर पाते, उन्हें बुरी तरह क्षतिग्रस्त केदारघाटी व अन्य चारधाम क्षेत्रों में ठेला जा रहा है। विभाग की मंशा इनसे आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सड़कों की मरम्मत के लिए गैंतीफावड़ा चलाने व पत्थर उठवाने की है।
गंभीर स्थिति यह कि शासन आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए आउटसोर्सिंग पर बेलदार-मेट की भर्ती करने की स्वीकृति दे चुका है। बावजूद इसके लोनिवि अफसर विभागीय बेलदार-मेटों को पहाड़ों पर धकेल रहे हैं। अब तक देहरादून जनपद से करीब 86 बेलदार व मेटों की लिस्ट फाइनल की जा चुकी है। अधिकारियों की इस जिद की पीछे तमाम आशंकाएं खड़ी हो रही हैं।
जिस तरह से पहाड़ की सड़कें
क्षतिग्रस्त हैं, उसे देखते हुए शासन ने
लोनिवि को बेलदार व मेट आउटसोर्सिंग के माध्यम से उपलब्ध कराने की स्वीकृति दी थी। शासनादेश में स्पष्ट था कि बाहर से लिए जाने वाले श्रमिकों में स्थानीय लोग व एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्ला को प्राथमिकता दी जाएगी।
ताकि पत्थर ढोने व फावड़ा-गैंती चलाने जैसे कठिन काम में कोई व्यवधान पैदा न हो। लोनिवि ने इस आदेश को दरकिनार कर विभागीय बेलदार-मेट ही केदारघाटी समेत चारधाम के अन्य आपदाग्रस्त क्षेत्रों में भेजने शुरू कर दिए हैं। इनमें 59 साल तक के कर्मचारी शामिल हैं।
विडंबना : केदारघाटी समेत चारधाम क्षेत्रों में सड़कों की मरम्मत में हद दर्जे की लापरवाही उजागर हो रही है। केदारघाटी ठेले जा रहे बूढ़े बेलदार शासन की आउटसोर्सिंग पर स्वीकृति के बावजूद लोक निर्माण विभाग विभागीय बेलदार-मेटों को भेज रहा दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में कहां से कितने बेलदार-मेट (अभी तक)
लोनिवि निर्माण खंड, देहरादून: 17
अस्थाई खंड, ऋषिकेश: 41
चकराता खंड: 21
प्रदेश में कहीं पर भी यदि अधिक उम्र के बेलदार-मेट को पर्वतीय क्षेत्रों में भेजा गया तो संगठन आंदोलन छेड़ेगा। आउटसोर्स के माध्यम से बेलदार-मेट काम पर लगाए जाएं और विभागीय मेट को बेलदार पद पर पदोन्नत किया जाए। ताकि आउटसोर्स से लगने वाले कर्मचारियों को भी विभाग में जगह मिल पाए।
बाबू खान, प्रदेश अध्यक्ष दैनिक कार्यप्रभारित कर्मचारी यूनियन 1000 कर्मचारी भेजे जाएंगे भले ही राजधानी देहरादून से अब तक करीब 86 लोगों की सूची तैयार कर ली गई हो, लेकिन प्रदेशभर से 1000 के आसपास बेलदार व मेट आपदाग्रस्त क्षेत्रों में भेजे जाने हैं।
यह सच है कि अधिकतर बेलदार-मेट विभागीय हैं। आउटसोर्स पर बेहद कम श्रमिक लिए जा रहे हैं। यह प्रयास किए जाएंगे कि कम उम्र कर्मचारियों को ही पर्वतीय क्षेत्रों में भेजा जाए।
ललित मोहन, प्रमुख अभियंता (लोनिवि)