केदारनाथ धाम दोबारा बसेगा
आपदा से तबाह हुए केदारनाथ धाम के पुनरोद्धार का काम इसी सीजन से प्रारंभ होगा। केदारनाथ धाम को दोबारा बसाने का काम जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) की रिपोर्ट के आधार पर होगा। केदारनाथ मंदिर के पीछे चौराबाड़ी तक और अगल-बगल यानी ठीक दाएं-बाएं ओर तकरीबन 150 मीटर तक कोई निर्माण नहीं होगा। मंदिर के
देहरादून। आपदा से तबाह हुए केदारनाथ धाम के पुनरोद्धार का काम इसी सीजन से प्रारंभ होगा। केदारनाथ धाम को दोबारा बसाने का काम जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) की रिपोर्ट के आधार पर होगा।
केदारनाथ मंदिर के पीछे चौराबाड़ी तक और अगल-बगल यानी ठीक दाएं-बाएं ओर तकरीबन 150 मीटर तक कोई निर्माण नहीं होगा। मंदिर के पीछे त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनेगी। मंदिर परिसर में जमींदोज भवन और मलबे को हटाने का काम अक्टूबर माह के अंतिम हफ्ते से शुरू किया जाएगा। नए सिरे से व्यवस्थित केदार धाम में रोपवे के साथ ही गोल्फ कार्ट और शटल टैक्सी चलाने की योजना को भी मंजूरी दी गई। केदारनाथ क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय प्राधिकरण का गठन होगा। राज्य मंत्रिमंडल ने केदारनाथ मंदिर, केदारपुरी और आसपास के पड़ावों के पुनर्निर्माण की योजना पर मुहर लगा दी।
प्राचीन मंदिर की मरम्मत और संरक्षण का कार्य आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया करेगा। नया प्राधिकरण केदारनाथ क्षेत्र में ड्रेनेज, सीवरेज, पेयजल, आंतरिक सड़कों और आवासीय व्यवस्था को अंजाम देगा। केदारनाथ धाम से मंदाकिनी पर पुल के बीच करीब 90 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़े क्षेत्र को खाली रखा जाएगा। इससे दूर से भी केदारनाथ मंदिर के दर्शन हो सकेंगे। केदारनाथ को दोबारा बसाया जाएगा। जिन लोगों के पास पहले जो जगह थी, मलबा हटाने के बाद उन्हें वहां दोबारा स्थापित किया जाएगा।
केदार धाम क्षेत्र में ऐसे 333 लोग हैं जिनके पास भूमि पट्टा था। इसके अलावा बड़ी संस्थाओं को भी उनकी भूमि पर पुनर्वास में मदद की जाएगी। नए सिरे से बसाई जाने वाली केदारपुरी में पहले स्थापित लोगों को ही प्राथमिकता मिलेगी। साथ ही मंदिर तक पहुंचने का मार्ग भी नए विकसित क्षेत्र से गुजरेगा, ताकि लोगों को दोबारा आजीविका का मौका मिले। केदारपुरी के साथ ही गौरीकुंड, रामबाड़ा, गरुड़चट्टी, भीमबली में आपदा के चलते अपना ठिकाने गंवा चुके तकरीबन 1000 लोगों को दोबारा बसाया जाएगा। केदारनाथ धाम में मौजूदा बेस कैंप में बड़ा हेलीपैड बनाने का काम 25 अक्टूबर तक पूरा होगा। इसके बाद बड़े हेलीकाप्टर एमआइ-26 की मदद से मलबा हटाने के लिए डोजर और बड़े उपकरण पहुंचाए जाएंगे। इसके बाद मलबा हटाने का काम शुरू होगा। केदारपुरी को व्यवस्थित करने का काम स्थानीय तीर्थ-पुरोहितों और पंडा समाज के साथ रायशुमारी के बाद ही शुरू किया जाएगा। लिंचौली से केदारनाथ के लिए रोपवे बनेगा। साथ ही नई विकसित केदारपुरी में गोल्फ कार्ट और शटल टैक्सी चलाने पर भी सहमति बनी।
केदारनाथ धाम को दोबारा बसाने के लिए केदारनाथ बेस कैंप से अपर लिंचौली और लोअर लिंचौली तक तकरीबन नौ हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। इस क्षेत्र में ग्लेश्यिर का खतरा नहीं है। केदारनाथ परिसर में ही पुल से लेकर मंदिर और बेस कैंप के दायरे में केदारपुरी को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा। गरुड़चट्टी, घोड़ा पड़ाव व बेस कैंप के नीचे जमीन धंसाव रोकने को ट्रीटमेंट होगा। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए दो वैकल्पिक मार्गो को भी मंजूरी दी गई। त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ तक 14 किमी और कालीमठ-चौमासी-केदारनाथ 23 किमी मार्गो का निर्माण वन विभाग करेगा। यह तय हुआ कि मुआवजे से वंचित रह गए आपदा से प्रभावित दुकानदारों, घोड़ा-पालकी संचालकों की रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी दोबारा जांच करेंगे। इसके बाद उन्हें मुआवजा मिल सकेगा।की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय प्राधिकरण का गठन होगा।
राज्य मंत्रिमंडल ने केदारनाथ मंदिर, केदारपुरी और आसपास के पड़ावों के पुनर्निर्माण की योजना पर मुहर लगा दी। प्राचीन मंदिर की मरम्मत और संरक्षण का कार्य आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया करेगा। नया प्राधिकरण केदारनाथ क्षेत्र में ड्रेनेज, सीवरेज, पेयजल, आंतरिक सड़कों और आवासीय व्यवस्था को अंजाम देगा। केदारनाथ धाम से मंदाकिनी पर पुल के बीच करीब 90 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़े क्षेत्र को खाली रखा जाएगा। इससे दूर से भी केदारनाथ मंदिर के दर्शन हो सकेंगे। केदारनाथ को दोबारा बसाया जाएगा। जिन लोगों के पास पहले जो जगह थी, मलबा हटाने के बाद उन्हें वहां दोबारा स्थापित किया जाएगा। केदार धाम क्षेत्र में ऐसे 333 लोग हैं जिनके पास भूमि पट्टा था। केदारनाथ धाम में मौजूदा बेस कैंप में बड़ा हेलीपैड बनाने का काम 25 अक्टूबर तक पूरा होगा। इसके बाद बड़े हेलीकाप्टर एमआइ-26 की मदद से मलबा हटाने के लिए डोजर और बड़े उपकरण पहुंचाए जाएंगे। इसके बाद मलबा हटाने का काम शुरू होगा। केदारपुरी को व्यवस्थित करने का काम स्थानीय तीर्थ-पुरोहितों और पंडा समाज के साथ रायशुमारी के बाद ही शुरू किया जाएगा। लिंचौली से केदारनाथ के लिए रोपवे बनेगा। साथ ही नई विकसित केदारपुरी में गोल्फ कार्ट और शटल टैक्सी चलाने पर भी सहमति बनी। केदारनाथ धाम को दोबारा बसाने के लिए केदारनाथ बेस कैंप से अपर लिंचौली और लोअर लिंचौली तक तकरीबन नौ हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। इस क्षेत्र में ग्लेश्यिर का खतरा नहीं है।
केदारनाथ परिसर में ही पुल से लेकर मंदिर और बेस कैंप के दायरे में केदारपुरी को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा। गरुड़चट्टी, घोड़ा पड़ाव व बेस कैंप के नीचे जमीन धंसाव रोकने को ट्रीटमेंट होगा। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए दो वैकल्पिक मार्गो को भी मंजूरी दी गई। त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ तक 14 किमी और कालीमठ-चौमासी-केदारनाथ 23 किमी मार्गो का निर्माण वन विभाग करेगा।
यह तय हुआ कि मुआवजे से वंचित रह गए आपदा से प्रभावित दुकानदारों, घोड़ा-पालकी संचालकों की रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी दोबारा जांच करेंगे। इसके बाद उन्हें मुआवजा मिल सकेगा।
केदारनाथ से लेकर गौरीकुंड, रामबाड़ा, गरुड़चट्टी और भीमबली तक तकरीबन एक हजार लोगों के लिए बनाई जाएगी व्यवस्था-केदारपुरी के पुनरोद्धार की कार्ययोजना पर स्थानीय तीर्थ-पुरोहितों, पंडा समाज और प्रभावित पक्षों से होगी वार्ता-उपनल के कर्मचारियों को नौकरी से हटाया नहीं जाएगा, निकाले गए होंगे बहाल-सर्किल रेट बढ़ाने का निर्णय 31 अक्टूबर तक टाला-गैरसैंण विकास प्राधिकरण के लिए अध्यादेश को मंजूरी-नर्सिग कालेजों में सिर्फ 50 फीसद फीस बढ़ाई जा सकेगी-कृषि शिक्षा व शोध संस्थानों में मातृत्व अवकाश लागू-राच्य आंदोलनकारियों की सरकारी नौकरी और मुकदमें में अड़चनें दूर करने को कमेटी गठित-अब पुरुषों को भी तीलू रौतेली पुरस्कार-किसानों, तीर्थ-पुरोहितों, विकलांग-विक्षिप्त महिलाओं को 800 रुपये पेंशन-प्रमाणपत्रों के स्व सत्यापन की व्यवस्था लागू, शासनादेश।