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केदारघाटी के कई गांवों के लिए मुसीबत बना है मलबा

केदारनाथ आपदा के बाद से मंदाकिनी नदी में जमा हजारों टन मलबा अभी तक नहीं हटाया जा सका है। इसके चलते नदी का जल स्तर आठ से दस फीट ऊंचा हो गया है। स्थानीय लोगों की मलबा हटाने की मांग के बाद प्रशासन ने संभावित खतरे को देखते हुए भूगर्भीय

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 01:10 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 01:12 PM (IST)
केदारघाटी के कई गांवों के लिए मुसीबत बना है मलबा

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ आपदा के बाद से मंदाकिनी नदी में जमा हजारों टन मलबा अभी तक नहीं हटाया जा सका है। इसके चलते नदी का जल स्तर आठ से दस फीट ऊंचा हो गया है। स्थानीय लोगों की मलबा हटाने की मांग के बाद प्रशासन ने संभावित खतरे को देखते हुए भूगर्भीय वैज्ञानिकों की समिति गठित कर दी है।

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वर्ष 2013 में आई भीषण दैवीय आपदा के दौरान मंदाकिनी नदी में बाढ़ से केदार घाटी के कई कस्बों में भारी तबाही मची थी। बाढ़ में पानी के साथ आए भारी मात्रा में मलबे से नदी का तल लगभग 10 फीट ऊंचा उठ गया। इससे मानसून में रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, सिल्ली, रामपुर, विजयनगर, अगस्तमुनि, चन्द्रापुरी, भीरी, कुंड, गबनीगांव, रामपुर क्षेत्रों बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। क्षेत्रवासी प्रशासन से मलबा हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रशासन ने मानसून में संभावित खतरे को देखते हुए भूगर्भीय वैज्ञानिकों समिति गठित की है। समिति की सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद ही मंदाकिनी नदी से मलबा हटाने के संबंध में निर्णय किया जाएगा। हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भीय शोध अधिकारी डा. एसपी सती के अनुसार मदांकिनी नदी से मलबा हटाना भी नुकसान दायक है।

आने वाले समय में मलबा धीरे-धीरे पानी के बह जाएगा। मलबे से नदी तल का उठना स्वाभाविक प्रक्रिया है।

चंद्रापुरी क्षेत्र के निवासी आपदा पीडि़त रमेश बेंजवाल का कहना है कि आपदा के समय नदी अपने साथ पानी के साथ ही बड़ी मात्रा में मलबा भी बहाकर लाई थी, लेकिन डेढ़ वर्ष बाद भी प्रशासन ने इस मलबे को हटाने का कार्य शुरू नहीं किया है। नदी किनारे बसे लोगों के लिए यह मलबा खतरा बना हुआ है। क्षेत्रवासी योगंबर नेगी का कहना है कि कस्बों में नदियों से सट कर बह रही नदी से खतरा बना हुआ है।


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