केदार आपदा में मृत घोषित जिंदा मिला, दो साल कहां रहा कुछ नहीं पता
केदारनाथ आपदा में अपनों को गंवाने के बावजूद उम्मीदें आज भी जिंदा हैं। लापता लोगों के मिलने से इन उम्मीदों को बल भी मिल रहा है। ऐसे ही एक और मामले में रुद्रप्रयाग में चमोली जिले का रहने वाला एक व्यक्ति मिला है, जिसे आपदा में मृत घोषित किया जा
श्रीनगर (गढ़वाल)। केदारनाथ आपदा में अपनों को गंवाने के बावजूद उम्मीदें आज भी जिंदा हैं। लापता लोगों के मिलने से इन उम्मीदों को बल भी मिल रहा है। ऐसे ही एक और मामले में रुद्रप्रयाग में चमोली जिले का रहने वाला एक व्यक्ति मिला है, जिसे आपदा में मृत घोषित किया जा चुका था। 46 साल का यह व्यक्ति न मानसिक रूप से स्वस्थ है और न ही शारीरिक तौर पर। उसे यह भी याद नहीं कि बीते दो साल वह कहां रहा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व अलवर राजस्थान की एक महिला लीला देवी उत्तरकाशी जिले के गंगोरी कस्बे में मिली थी। केदारनाथ में लापता इस महिला को भी मृत घोषित किया जा चुका था।
केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि 21 मार्च को चमोली जिले के रहने वाले संतोष कुमार रुदप्रयाग बाजार में घूम रहे थे। घूमते-घूमते वह कुछ दूर गए, तभी उनकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी। सड़क किनारे एक व्यक्ति बदहवास पड़ा था। संतोष को चेहरा जाना-पहचाना लगा। पास जाकर देखा तो यह व्यक्ति उनका ममेरा भाई पुष्कर सिंह (46 वर्ष) था।
यह देखकर वह हैरत में पड़ गए और पुष्कर के भाई को फोन पर सूचना दी। इसके बाद वह उसे लेकर वह तत्काल गांव पहुंचे। पुष्कर को जिंदा देख परिजनों की खुशी की इंतेहा नहीं थी। संतोष ने बताया कि पुष्कर मुंबई में एक फार्मा कंपनी में काम करता था। उन दिनों वह छुट्टी पर गांव आया था। 14 जून 2013 को वह रुद्रप्रयाग के पास अगस्त्यमुनि में अपने भाई से मिला। भाई यहां दुकान चलाता है। इसी दिन वह रिश्तेदारी में तिलवाड़ा चला गया। रात वहां ठहर वह रिश्तेदारों की बाइक लेकर 15 जून को गौरीकुंड के लिए रवाना हुआ। इसके बाद उसकी कोई खबर नहीं मिली। भाई ने अगस्त्यमुनि पुलिस चौकी में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में उसे आपदा में मृत घोषित कर दिया गया।
संतोष ने बताया कि पुष्कर कुछ नहीं बोल रहा। उसके इशारों से इतना ही समझ आ रहा है कि वह गौरीकुंड से ऊपर गया था। उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। केदारघाटी विस्थापन एवं पुनर्वास संघर्ष समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने उसे श्रीनगर मेडिकल कालेज में मनोवैज्ञानिक को दिखाया। फिलहाल उसका उपचार किया जा रहा है।