सारनाथ पहुंचे करमापा पर बरसी गुलाब की पंखुडिय़ां
तिब्बती कर्ज्ञुद संप्रदाय के 17वें करमापा उग्येन ठिनले दोरजे शुक्रवार की शाम सारनाथ स्थित वज्र विद्या संस्थान पहुंचे। करमापा संस्थान में 13 दिन प्रवास के दौरान अध्ययन, अध्यापन पूजा-पाठ, प्रवचन सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वह विश्व शांति के लिए आयोजित अनुष्ठान में भी शामिल होंगे।
वाराणसी। तिब्बती कर्ज्ञुद संप्रदाय के 17वें करमापा उग्येन ठिनले दोरजे शुक्रवार की शाम सारनाथ स्थित वज्र विद्या संस्थान पहुंचे। करमापा संस्थान में 13 दिन प्रवास के दौरान अध्ययन, अध्यापन पूजा-पाठ, प्रवचन सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वह विश्व शांति के लिए आयोजित अनुष्ठान में भी शामिल होंगे।
सारनाथ पहुंचने पर दर्जनों की संख्या में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्र बजाकर स्वागत किया। इससे पूर्व करमापा दिल्ली से एयर इंडिया के विमान से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां पर भिक्षु टूल्कू थामचुक एवं भिक्षु खेम्वो लोवसग ने अगवानी की। वहां से वज्र विद्या संस्थान पहुंचने पर शैक्षणिक गुरु भिक्षु ठंगू रिनपोछे ने खाता भेंट कर स्वागत किया। करमापा ने मंदिर में पहुंच कर भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा का दर्शन किया। साथ ही पवित्र केसर युक्त चावल, जल व खाता चढ़ाया। करमापा के सारनाथ पहुंचने पर संस्थान के बाहर की सड़क के दोनों तरफ बौद्ध अनुयायी हाथों में धूप व खाता लेकर कतारबद्ध खड़े थे।
इस दौरान विदेशी अनुयायियों की संख्या अधिक थी। संस्थान परिसर से लेकर बाहर सड़क तक फ्रांस, जर्मनी, इटली, चीन, इंग्लैड व अमेरिका सहित अन्य देशों से 200 से अधिक अनुयायी मौजूद थे। रास्ते भर करमापा पर गुलाब की पंखुडिय़ां बरसाई गईं। करमापा जिन पंखुडिय़ों से होकर गए उन्हें बाद में अनुयायियों ने समेट कर नमन करते हुए अपने पास प्रसाद के तौर पर रख लिया। इस बाबत जर्मनी की स्टेला व इटली के डेविड का कहना था कि गुलाब की यह पंखुडिय़ां हमारे लिए अनमोल हैं क्योंकि करमापा हमारे लिए भगवान के समान हैं।