अब 26 जनवरी से कीजिए हिमालय दर्शन
आपदा के दौरान बचाव और राहत कार्य में इस्तेमाल होने वाले पांच दर्जन हेलीपैड पर्यटकों के लिए उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में हवाई सैर का लुत्फ उठाने का जरिया बनेंगे। पहले चरण में 11 हेलीपैड के जरिए हिमालय दर्शन यात्रा 26 जनवरी से शुरू की जाएगी। 11 हेलीपैड के लोकशन
देहरादून। आपदा के दौरान बचाव और राहत कार्य में इस्तेमाल होने वाले पांच दर्जन हेलीपैड पर्यटकों के लिए उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में हवाई सैर का लुत्फ उठाने का जरिया बनेंगे। पहले चरण में 11 हेलीपैड के जरिए हिमालय दर्शन यात्रा 26 जनवरी से शुरू की जाएगी। 11 हेलीपैड के लोकशन वाले क्षेत्रों में बीमार लोगों को उपचार के लिए मुफ्त हेली सेवा देने पर भी विचार किया जा रहा है।
आपदा के प्रति संवेदनशील उत्तराखंड में बचाव और राहत कार्यो के लिए एशियन विकास बैंक (एडीबी) की 140 करोड़ की वित्तीय मदद से 60 हेलीपैड विकसित किए जाने हैं। इनकी लोकेशन चिन्हित की गई हैं। पवन हंस की मदद से प्रदेश सरकार ने इस बाबत योजना को अंतिम रूप दिया। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा के मुताबिक हिमालय दर्शन के बहाने सरकार प्रदेश में हवाई पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश में है। पहले इस यात्रा को बीते दिसंबर माह से शुरू करने की योजना थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया। अब हिमालयी पर्वतीय क्षेत्रों में अच्छी बर्फबारी होने से इस योजना को ठोस शुरुआत मिलने की उम्मीदें संजोई गई हैं। इस योजना के पहले चरण में छह माह में पर्यटकों को रियायती दरों पर हेली पर्यटन की सुविधा मिलेगी। इसके लिए पैकेज तैयार किया जा रहा है।
हिमालय दर्शन यात्रा के अंतर्गत छह लोगों के बैठने की क्षमतायुक्त दो हेलीकाप्टर, चार लोगों की बैठने की क्षमतायुक्त दो हेलीकाप्टर और पंतनगर-देहरादून के लिए हवाई जहाज सेवा के अनुबंध की तैयारी की जा रही है। जो आपरेटर कंपनी इसमें सक्षम होगी, उसके साथ सरकार अनुबंध करेगी। इस बाबत प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पहले चरण में 11 हेलीपैड में जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा के मुताबिक हिमालय दर्शन यात्रा के संचालन का जिम्मा उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथारिटी (उकाडा) को दिया जाएगा। कोशिश की जा रही है कि हिमालय दर्शन यात्रा सरकार के बजट पर आश्रित न हो। पहले चरण में रियायती दरों के बाद पर्यटकों के आकर्षित होने के बाद सरकार आपरेटर कंपनी से यूजर चार्ज और लैंडिंग चार्ज वसूल करेगी।
उन्होंने बताया कि दो साल के भीतर सभी 60 हेलीपैड विकसित किए जाएंगे। सरकार प्रदेश में आधुनिक सुविधायुक्त 5-6 हेलीकाप्टर क्षमता के हेलीड्रोम, तीन एमआइ-17 क्षमता के हेलीपैड और शेष सामान्य हैलीपैड विकसित करेगी।
केदारनाथ समेत आपदा के कहर से बदहाल पांच जिलों में एसडीएमए को पुनर्निर्माण का मिला जिम्मा-
केदारनाथ धाम समेत आपदा के कहर से बदहाल पांच जिलों में अब पुनर्निर्माण कार्यो का जिम्मा आगामी फरवरी माह से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) सौंपा जाएगा। एसडीएमए को प्रभावी बनाने के लिए इसके स्वरूप में बदलाव भी किया जा रहा है।
इस बदलाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्र स्तर पर की गई पहल और गैर कांग्रेस शासित राज्यों के प्राधिकरणों की छाप नजर आएगी। एसडीएमए के संशोधित एक्ट के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी। वर्ष 2013 के जून माह में जल प्रलय के रूप में बरसी आपदा ने केदारनाथ धाम के साथ ही रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और चंपावत जिले में जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाया था। आपदा से उबरने के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष वित्तीय पैकेज मुहैया कराया है। केदारनाथ धाम और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण कार्य अभी विभिन्न महकमों के जरिए अंजाम दिया जा रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद कामकाज की रफ्तार तेज नहीं हो पा रही है।
पुनर्निर्माण से जुड़े महकमों में तालमेल की समस्या भी गाहे-बगाहे पेश आती रहती है। राज्य सरकार ने आपदा पुनर्निर्माण कार्यो में तेजी लाने के लिए यह कार्य एसडीएमए के सुपुर्द करने का निर्णय लिया है। अगले माह फरवरी से एसडीएमए नई जिम्मेदारी संभालेगा। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि एसडीएमए के अंतर्गत पुनर्निर्माण से जुड़े निर्माण कार्य, बिजली, पेयजल आपूर्ति दुरुस्त करने समेत तमाम कार्य किए जाएंगे। एसडीएमए अब स्थायी और प्रभावी संस्था के तौर पर काम करेगा। केंद्र की मोदी सरकार ने जिसतरह एनडीएमए का स्वरूप बदलकर उसे सक्रिय किया, कमोबेश इसी तर्ज पर एसडीएमए का स्वरूप भी तय होगा।
इस बाबत आपदा प्रबंधन महकमे की ओर से उड़ीसा, गुजरात के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के साथ ही एनडीएमए के स्वरूप का अध्ययन किया है। एसडीएमए के उपाध्यक्ष पद पर नौकरशाह को बिठाया जाएगा। एसडीएमए में इन बदलावों को शामिल करने के लिए मौजूदा एक्ट में भी संशोधन होगा। संशोधित एक्ट के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी। प्राधिकरण के अंतर्गत दो इकाइयां परियोजना और निर्माण रहेंगी।