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सावन की हर बरसती बूंद में है श‍िव का आर्शीवाद

सावन का महीना देवों के देव महादवे भोलेनाथ का होता है। सावन में भक्‍त महादेव को प्रसन्‍न करने के लिये दूध, घी, फूल, गंगा जल आदि से उनका अभिषेक करते हैं।

By prabhapunj.mishraEdited By: Published: Mon, 24 Jul 2017 01:54 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jul 2017 02:33 PM (IST)
सावन की हर बरसती बूंद में है श‍िव का आर्शीवाद
सावन की हर बरसती बूंद में है श‍िव का आर्शीवाद

सावन के पहले और दूसरे सोमवार की तरह ही तीसरा सोमवार भी खास महत्व रखता है। सावन में बरसती हर बूंद बाबा श‍िव का आर्शीवाद है। भगवान शिव सृष्ट‍ि के तीनों गुणों को नियंत्रित करते हैं। वो त्रिनेत्रधारी हैं। शिव जी की उपासना भी मूल रूप से तीन स्वरूपों में ही की जाती है। तीनों स्वरूपों की उपासना के लिए सावन का तीसरा सोमवार महत्वपूर्ण होता है।

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1- नील कंठ

समुद्र मंथन में हलाहल विष निकला तो भगवान शिव ने मानवता की रक्षा के लिए पी लिया। उन्होंने विष को अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। कंठ नीला होने के कारण ही उन्हें नील कंठ कहा जाता है। इस स्वरूप की उपासना करने से शत्रु, षडयंत्र, तंत्रमंत्र आदि का असर नहीं होता। सावन के तीसरे सोमवार को नीलकंठ पर गन्ने का रस चढ़ाएं। इसके बाद नीलकंठ स्वरूप के मंत्र 'ऊं नमो नीलकंठाय' का जाप करें। ग्रहों की हर समस्या खत्म हो जाएगी।

2- नटराज

शिव ने ही दुनिया में नृत्य, संगीत और कला का अविष्कार किया है। नृत्य कला के तमाम भेद और सूक्ष्म चीजें भी शिव जी ने अपने शिष्यों को बताई हैं। उन्होंने ऐसे नृत्यों का सृजन किया, जिसका असर हमारे मन, शरीर और आत्मा पर पड़ता है। इसलिए भगवान शिव को नटराजन भी कहते हैं। जीवन में सुख और शांति के लिए नटराज स्वरूप की पूजा की जाती है। ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए इनकी पूजा उत्तम होती है। सावन के सोमवार को घर में सफेद रंग के नटराज की स्थापना सर्वोत्तम है। इनकी उपासना में सफेद रंग के फूल अर्पित करें।

3- महामृत्युंजय

भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि उन्हें मृत संजीवनी विद्या का ज्ञान है। यानी वो सेहत संबंधित किसी भी समस्या या अकाल मृत्यु जैसी समस्या को भी दूर कर सकते हैं। भगवान शिव के इसी तीसरे रूप की पूजा सावन के तीसरे सोमवार को होती है। शिवजी इस स्वरूप में अमृत का कलश लेकर अपने भक्त की रक्षा करते हैं। इस रूप की उपासना से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। शिव का मृत्युंजय स्वरूप आयु, रक्षा, अच्छी सेहत और मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। तीसरे सोमवार के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, जलधारा अर्प‍ित करें। इसके बाद शिवलिंग की अर्ध परिक्रमा करें और अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें। मृत्युंजय स्वरूप का मंत्र है 'ऊं हौं जूं स:'


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