होली आई रे कन्हाई देखो होली आई रे
देश के जिन प्रदेशो में होलाष्टक से जुडी मान्यताओं को नहीं माना जाता है। उन सभी प्रदेशों में होलाष्टक से होलिका दहन के मध्य अवधि में शुभ कार्य करने बन्द नहीं किये जाते है।
By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 06 Mar 2017 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 06 Mar 2017 03:30 PM (IST)
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है। होली पर्व के आने की सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है। रंग और गुलाल के साथ इस पर्व का समापन होता है। होली की शुरुआत होली पर्व होलाष्टक से प्रारम्भ होती है। इसके कारण प्रकृ्ति में खुशी और उत्सव का माहौल रहता है।
होलिका पूजन करने के लिये होली से पहले होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी खास व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है. जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारम्भ का दिन भी कहा जाता है। होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक प्रतिदिन इसमें कुछ लकडियां डाली जाती है। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यह लकडियों का बडा ढेर बन जाता है व इस दिन से होली के रंग फिजाओं में बिखरने लगते है। होलाष्टक मुख्य रुप से पंजाब और उत्तरी भारत में मनाया जाता है। होलाष्टक के दिन से एक ओर जहां उपरोक्त कार्यो का प्रारम्भ होता है। वहीं कुछ कार्य ऎसे भी है जिन्हें इस दिन से नहीं किया जाता है। होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाता है। यहां तक की अंतिम संस्कार करने से पूर्व भी शान्ति कार्य किये जाते है। इन दिनों में 16 संस्कारों पर रोक होने का कारण इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है।
मान्यता
इस दिन से मौसम की छटा में बदलाव आना आरम्भ हो जाता है। सर्दियां अलविदा कहने लगती है, और गर्मियों का आगमन होने लगता है। साथ ही वसंत के आगमन की खुशबू फूलों की महक के साथ प्रकृ्ति में बिखरने लगती है। होलाष्टक के विषय में यह माना जाता है कि जब भगवान श्री भोले नाथ ने क्रोध में आकर काम देव को भस्म कर दिया था, तो उस दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई थी।
होलाष्टक से जुडी मान्यताओं को भारत के कुछ भागों में ही माना जाता है। इन मान्यताओं का विचार सबसे अधिक पंजाब में देखने में आता है। होली के रंगों की तरह होली को मनाने के ढंग में विभिन्न है। होली उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू, गुजरात, महाराष्ट्र, उडिसा, गोवा आदि में अलग ढंग से मनाने का चलन है। देश के जिन प्रदेशो में होलाष्टक से जुडी मान्यताओं को नहीं माना जाता है। उन सभी प्रदेशों में होलाष्टक से होलिका दहन के मध्य अवधि में शुभ कार्य करने बन्द नहीं किये जाते है।
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