हरियाली तीज की प्रचलित व्रत कथा
हर साल सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को पूरे देश में हरियाली तीज के रुप में मनाया जाता है। यह त्योहार महिलाओं के लिए होती हैं। इस वृत को करने से हर मुराद पूरी होती है।
हरियाली तीज व्रत कथा
एक किसान के 4 बेटे और बहुएं थीं। उनमें से तीन बहुएं बहुत संपन्न परिवार से थीं लेकिन सबसे छोटी बहू गरीब थी। उसके मायके में भी कोई नहीं था। तीज का त्यौहार आया और परंपरा के अनुसार तीनों बड़ी बहुओं के मायके से सत्तू आया लेकिन छोटी बहू के यहां से कुछ न आया। वह उदास होकर अपने पति के पास गई। पति ने उससे उदासी का कारण पूछा और उसने पूरी बात बताकर पति को सत्तू लाने के लिए कहा। उसका पति पूरा दिन भटकता रहा लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली। शाम को थक-हारकर वह घर आ गया। जब उसकी पत्नी को यह पता चला कि उसका पति कुछ नहीं लाया तो वह बड़ी निराश हुई। अपनी पत्नी का उदास चेहरा देख चौथा बेटा रात भर सो ना सका। अगले दिन तीज थी।
भगवान ऐसे करते हैं मदद
ऐसे में वह अपने बिस्तर से उठा और एक दुकान में चोरी करने के इरादे से घुस गया। वहां वह चने की दाल लेकर उसे पीसने लागा जिससे आवाज हुई और उस दुकान का मालिक उठ गया। जब उससे ऐसा करने का कारण पूछा गया तो उसने अपनी पूरी गाथा सुना दी। यह सुन बनिये का मन पलट गया और वह उससे कहने लगा कि तू घर जा आज से तेरी पत्नी का मायका मेरा घर होगा। अगले दिन बनिए ने अपने नौकर के हाथ 4 तरह के सत्तू, श्रृंगार व पूजा का सामान भेजा। यह देख छोटी बहू खुश हो गई। जब सबने उससे पूछा कि यह सब किसने भेजा तो उसने कहा कि मेरे धर्म पिता ने भिजवाया है। इस तरह भगवान ने उसकी सुनी।