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हरि से होगा हर का अद्भुत मिलन

भगवान श्रीकृष्ण ने जब ब्रजवासियों से इंद्र की पूजा बंद कराके गिरिराज महाराज की पूजा कराई तो इंद्र देव कुपित हो गए। उन्होंने मेघ मालाओं को ब्रजभूमि बहने का आदेश दिया। तब सात वर्ष के सांवरे ने बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली पर सात कोस गिरिराज को धारण कर ब्रज

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 31 Jan 2015 03:10 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jan 2015 03:12 PM (IST)
हरि से होगा हर का अद्भुत मिलन

गोवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने जब ब्रजवासियों से इंद्र की पूजा बंद कराके गिरिराज महाराज की पूजा कराई तो इंद्र देव कुपित हो गए। उन्होंने मेघ मालाओं को ब्रजभूमि बहने का आदेश दिया। तब सात वर्ष के सांवरे ने बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली पर सात कोस गिरिराज को धारण कर ब्रज को डूबने से बचाया और इंद्र का मान मर्दन किया। ब्रजवासियों ने खुशी में गिरिराज प्रभु को अन्नकूट का भोग लगाया। सुनील पुरोहित के अनुसार इसी स्थली पर भगवान महादेव ने भगवान श्रीकृष्ण की अन्नकूट लीला के दर्शन किए। बाद में श्रीकृष्ण के प्रपोत्र बज्रनाभ ने मंदिर में कुंड बनवाकर दिव्य स्थलियों का जीर्णोद्धार भी किया। हरि और हर के मिलन की यह स्थली रुद्रकुंड के नाम से जानी जाती है।

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बांसुरिया की धुनों संग गूंजेगा

शंखनाद ब्रज धरा में यूं तो बांसुरी की मधुर धुन ही सुनाई देती है। मगर मार्च के पहले सप्ताह में होने वाले लोकार्पण कार्यक्रम में भगवान शंकर

के प्रिय शंखनाद से तलहटी गुंजायमान होगी। लोकार्पण कार्यक्रम में महादेव की नगरी काशी से स्पेशल ट्रेन में संत-महंत गोवर्धन आएंगे।

प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को सहेजने वाली ब्रज धरा को 'द ब्रज फाइंडेशनÓ भव्य रूप दे रहा है। संस्था ने भगवान 'आशुतोषÓ और प्रभु 'श्रीकृष्णÓ के अद्भुत मिलन के साक्षी रुद्रकुंड कलात्मकता को उकेरकर भव्यता प्रदान की है। अब सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मार्च के पहले सप्ताह में इस दिव्य कुंड का लोकार्पण करने गिरिराज जी की नगरी में आएंगे तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बुलाने के प्रयास जारी हैं।

काशी से स्पेशल ट्रेन से आ रहे संत-महंत इस आयोजन की महत्ता को और बढ़ा देंगे। जतीपुरा स्थित रुद्रकुंड कुछ समय पूर्व तक अतिक्रमण का शिकार था। चारों तरफ स्थायी दुकानें थीं तो गंदगी का ढेर भी आस्था को चोट पहुंचाता था। 'द ब्रज फाउंडेशनÓ के अध्यक्ष विनीत नारायण ने श्रद्धा के सागर को भव्य स्वरूप प्रदान करने का बीड़ा उठाया। विकास में बाधा डालते अतिक्रमणकारियों के इरादों को ध्वस्त कर वास्तु और कला के अद्भुत संयोग से रुद्रकुंड को सहेजा। अब यह कुंड अपने दिव्य

स्वरूप में फिर से धर्मप्रेमियों को लुभा रहा है।

फाउंडेशन अध्यक्ष श्री नारायन ने बताया कि मार्च के पहले सप्ताह में रुद्रकुंड का लोकार्पण सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की भी प्रबल संभावना है। पूरी तरह नहीं हुआ अतिक्रमण मुक्त हालांकि सियाराम कुम्हार का परिवार आज भी कुंड की धरा पर बसा हुआ है।

सियाराम के अनुसार कुंड पर उसको पुरखों से विरासत में घर मिला है। इधर, प्रशासन का कहना है कि रुद्रकुंड पर ये कब्जा अतिक्रमण है। अभिलेखों में कहीं भी इस परिवार के नाम दर्ज नहीं है। प्रशासन जल्द ही इस अतिक्र्रमण को हटाने की योजना

में है।


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