भगवान मद्महेश्वर के कपाट हुए बंद
द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट वैदिक मंत्रोचार एवं विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली शीतकाल गद्दी प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई।
रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट वैदिक मंत्रोचार एवं विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह डोली शीतकाल गद्दी प्रवास स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना हुई।
24 नवंबर को अपने शीतकालीन गद्दी में विराजमान होगी। शुक्रवार सुबह सात बजे से मुख्य पुजारी
व वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रोचार के साथ
भगवान की समाधि पूजा शुरू की, जो
करीब साढ़े नौ बजे तक चली। सुबह दस
बजे भगवान मद्महेश्वर के की चल विग्रह
डोली गर्भ गृह से बाहर निकाली गई।
प्रशासन व मंदिर समिति के कर्मचारियों की
मौजूदगी में मंदिर के कपाट शीतकाल के
लिए बंद कर दिए गए। इसके पश्चात
भगवान की चल विग्रह डोली ने अपने
शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ के लिए
प्रस्थान किया। भगवान की चल विग्रह
डोली रात्रि विश्राम गौंडार पहुंची, 22 नवंबर
को रांसी, 23 को गिरिया गांव और 24
नवंबर को ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां
भगवान मद्महेश्वर अपने गद्दीस्थल में
विराजमान होंगे। डोली के गद्दीस्थल
पहुंचने को लेकर यहां मेले का आयोजन
किया गया। मंदिर समिति के कार्याधिकारी
अनिल शर्मा ने बताया कि डोली शुक्रवार
को गौंडार में विश्राम करेगी। डोली के
आगमन की तैयारियां चल रही हैं।