गंगोत्री-यमुनोत्री के पट खुले
अक्षय तृतीया पर्व पर विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधानपूर्वक श्रद्धालुओं के लिये खोले गए। इसी के साथ आगामी छह माह के लिये चारधाम यात्रा का श्रीगणेश भी हो गया है। गंगोत्री धाम के कपाट पहले से तय समय पर खोले गए, किंतु यमुनोत्री धाम के कपाट का खुलने के समय में अंतिम समय पर बदलाव किया गया। इस बार दोनों
उत्तरकाशी। अक्षय तृतीया पर्व पर विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि विधानपूर्वक श्रद्धालुओं के लिये खोले गए। इसी के साथ आगामी छह माह के लिये चारधाम यात्रा का श्रीगणेश भी हो गया है। गंगोत्री धाम के कपाट पहले से तय समय पर खोले गए, किंतु यमुनोत्री धाम के कपाट का खुलने के समय में अंतिम समय पर बदलाव किया गया।
इस बार दोनों धामों में पिछले सालों की तुलना में चहल-पहल कम रही।
शुक्रवार सुबह भैरोंघाटी से ढोल दमाऊं व गढ़वाल रेजीमेंट के बैंड की धुन की अगुवाई में तीर्थ पुरोहित व अन्य श्रद्धालु मां गंगा की डोली के साथ दस बजे गंगोत्री धाम पहुंचे। धाम में मौजूद श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर गंगा की डोली का स्वागत किया। गंगा की भोगमूर्ति का जलाभिषेक कर तीर्थ पुरोहितों ने अनुष्ठान किया और गंगा लहरी पाठ के साथ दोपहर 12 बजकर एक मिनट पर शुभ मुहूर्त के अनुसार मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के साथ ही गंगा में डुबकी लगाने के बाद करीब एक हजार श्रद्धालुओं ने मां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन कर मनौतियां मांगी। दूसरी ओर, यमुना की डोली को शीतकालीन निवास खरसाली गांव से सुबह 8 बजे यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई। युमनोत्री धाम पहुंचने से पूर्व खरसाली गांव में ही तीर्थ पुरोहितों ने अंतिम समय पर कपाट खोलने का समय बदल दिया। जिसके चलते पहले से तय समय 11.55 की बजाए एक बजकर 30 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 12 बजकर 01 मिनट के शुभ मुहूर्त में मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। श्रद्धालुओं ने तप्त कुंड में डुबकी लगाकर मां यमुना की भोगमूर्ति के दर्शन किये।