गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा किनारे लगाएं वनस्पति
वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में गंगा स्वच्छता के लिए ‘वानिकी हस्तक्षेप’ पर राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा किनारे वनस्पति लगाकर राष्ट्रीय नदी की स्वच्छता में अहम योगदान दिया जा सकता है। अमल के लिए विशेषज्ञों के सुझाव जल
देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में गंगा स्वच्छता के लिए ‘वानिकी हस्तक्षेप’ पर राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा किनारे वनस्पति लगाकर राष्ट्रीय नदी की स्वच्छता में अहम योगदान दिया जा सकता है। अमल के लिए विशेषज्ञों के सुझाव जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा नवीकरण मंत्रलय को भेजे जाएंगे।
सोमवार को एफआरआइ सभागार में बैठक में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के महानिदेशक डॉ. अश्वनी कुमार ने उम्मीद जताई कि गंगा स्वच्छता पर उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल से जुटे 100 से ज्यादा वानिकी विशेषज्ञ कुछ ठोस सुझाव दे पाएंगे। एफआरआइ के निदेशक डॉ. पीपी भोजवैद ने कहा कि गंगोत्री से गंगा सागर तक 14 तरह के पर्यावरणीय व भौगोलिक बदलाव देखने को मिलते हैं। क्षेत्रवार गंगा किनारे दोनों तरफ विभिन्न प्रकार की वनस्पति लगाई जानी चाहिए। वनस्पति से काफी हद तक जल स्वच्छता में मदद मिलती है। बैठक में राज्यवार समूह विचार-विमर्श भी किया गया। विशेष वानिकी मॉडल तैयार किया, जिस पर मंगलवार को मंथन किया जाएगा। इसके आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की संरचना को अंतिम रूप देकर कई अध्याय तैयार किए जाएंगे। ताकि उसे जल संसाधन मंत्रलय भेजा जा सके। परियोजना के लिए इसी मंत्रलय से बजट भी मुहैया कराया जाएगा।