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गंगोत्री में अवैध निर्माण पर अंकुश की चुनौती

देश और दुनिया की आस्था का केंद्र गंगोत्री धाम की हरियाली संकट में है। धाम में बुनियादी विकास कार्य लंबे समय से लटके हुए हैं, लेकिन मानकों को ताक पर रखकर अवैध भवन निर्माण बदस्तूर जारी है। इसके लिए इस संवेदनशील इलाके की वन संपदा को नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है। गंगोत्री धाम स

By Edited By: Published: Wed, 14 May 2014 03:20 PM (IST)Updated: Wed, 14 May 2014 03:51 PM (IST)
गंगोत्री में अवैध निर्माण पर अंकुश की चुनौती

उत्तरकाशी। देश और दुनिया की आस्था का केंद्र गंगोत्री धाम की हरियाली संकट में है। धाम में बुनियादी विकास कार्य लंबे समय से लटके हुए हैं, लेकिन मानकों को ताक पर रखकर अवैध भवन निर्माण बदस्तूर जारी है। इसके लिए इस संवेदनशील इलाके की वन संपदा को नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है।

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गंगोत्री धाम से अब हरियाली गायब होती जा रही है। इसकी जगह बेतरतीब ढंग से उभर रहा कंक्रीट का जंगल लेता जा रहा है। हालांकि इस पर अंकुश के लिए गंगोत्री विकास प्राधिकरण के नियम बनाए गए हैं, लेकिन प्राधिकरण के उत्तरकाशी स्थित दफ्तर की नजर गंगोत्री तक नहीं पहुंच रही। लिहाजा गंगोत्री में मानकों को ताक पर रखकर अवैध निर्माण बदस्तूर जारी है। धाम में पार्किंग, सीवरेज व सफाई व्यवस्था जैसे बुनियादी विकास कार्य वर्षो से लटके हैं, लेकिन भागीरथी के दोनों ओर बहुमंजिले होटल, आश्रम व दुकानों का निर्माण बदस्तूर जारी है। गंगोत्री विकास प्राधिकरण की ओर से गंगोत्री में निर्माण के लिए अभी महज 36 नक्शे पास किये गए हैं। जबकि गंगोत्री नगर पंचायत के रजिस्टर में 96 होटल, आश्रम व अन्य भवन दर्ज हैं। यह संख्या बीते साल की है। इन दिनों फिर से नगर पंचायत का नया सर्वे चल रहा है। दिलचस्प बात यह है कि गंगोत्री में यात्रा सीजन के दौरान निर्माण नहीं होता। सर्दियों में जब गंगोत्री में लोगों की आवाजाही बंद हो जाती है, तब यहां नियम कायदों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। अवैध निर्माण के चलते बड़े पैमाने पर दुर्लभ प्रजाति के देवदार व कैल के पेड़ भी काट दिये जाते हैं, लेकिन वन विभाग को भी इसकी भनक नहीं लगती। गंगोत्री धाम में बेतरतीब निर्माण गंगा भागीरथी की सेहत के लिए भी घातक है। निर्माण के दौरान खोदी गई जमीन का मलबा सीधे गंगा भागीरथी में ही प्रवाहित कर दिया जाता है।

गंगोत्री में निर्माण के मानक

-प्रस्तावित भूमि पट्टे या लीज पर आवंटित हो

-भूमि पुराने कब्जाधारकों से हस्तांतरित हो

-भूमि पर पेड़ होने पर वन विभाग की अनुमति

-गंगोत्री विकास प्राधिकरण से नक्शा पास हो

-भवन की ऊंचाई बारह मीटर से अधिक न हो

-गंगा भागीरथी तट से पर्याप्त दूरी पर निर्माण हो

'गंगोत्री धाम में निर्माण कार्यो की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है, जो भी अवैध अतिक्रमण पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

- केके सिंह, एसडीएम व प्रभारी गंगोत्री विकास प्राधिकरण


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