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बनारस में बदला गंगाजल का रंग

गंगा में इससे पहले कभी इस कदर किनारों पर हरियाली देखने को नहीं मिली थी। यदि ये शैवाल हैं तो अधिक चिंता की बात है ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 10:01 AM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 05:03 PM (IST)
बनारस में बदला गंगाजल का रंग
बनारस में बदला गंगाजल का रंग

 
वाराणसी महादेव की नगरी काशी में इन दिनों गंगा के दोनों किनारों पर पानी का रंग हरा हो गया है। रंग कुछ अधिक ही गहरा जाने से बुधवार की सुबह लोगों ने इस पर गौर किया। खासकर अप स्ट्रीम के प्रवाह में गंगाजल के रंग बदले होने को लेकर नेमी स्नानार्थियों से पर्यावरण प्रेमियों ने भी चिंता जताई है। गंगा में दोनों किनारों में पानी का रंग हरा होने का अधिक प्रभाव रामनगर किले के समीप और उसके ठीक सामने शहर की ओर सामने घाट के क्षेत्र में देखने को मिल रहा है।

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लोगों का कहना है कि इससे पहले इस कदर गंगाजल में हरियाली नहीं देखी गई। आशंका जताई गई कि कहीं से अत्यधिक मात्रा में कोई केमिकल का प्रवाह हुआ होगा। सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से टीम भेजकर गंगाजल का नमूना मंगाया गया। जांच के बाद कार्यालय की ओर से बताया गया कि गंगा में किसी तरह का केमिकल प्रवाहित नहीं किया गया है। किनारों पर प्रवाह कम होने से हरी शैवालों की मात्रा बढ़ गई है। उसी वजह से पानी हरा दिख रहा है। इस मामले की जांच के लिए आइआइटी बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की ओर से भी गुरुवार को गंगाजल का नमूना एकत्र कर लैब में उसकी जांच की जाएगी। 

'किनारों पर गंगाजल का हरा होना कोई चिंता की बात नहीं है। यह किसी तरह का कोई केमिकल नहीं बल्कि नदी के प्रवाह में किनारों पर आए ठहराव और डोमेस्टिक वेस्ट की अधिकता से शैवाल उत्पन्न होने का मामला है'

-घनश्याम, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी 

'गंगा में इससे पहले कभी इस कदर किनारों पर हरियाली देखने को नहीं मिली थी। यदि ये शैवाल हैं तो अधिक चिंता की बात है क्योंकि, शैवाल ठहरे हुए पानी में ग्रोथ करते हैं। गंगा के प्रवाह में ठहराव बड़ी समस्या की ओर इशारा है। गंगा का पानी पोखरे की तरह व्यवहार कर रहा है। हालांकि असल वजह क्या है इसके लिए जांच की जाएगी'

-प्रोफेसर पीके मिश्रा, केमिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग, आइआइटी बीएचयू 

'मनमानी ढंग से गंगा में नए घाट और पुल आदि बनाए जा रहे हैं। प्रचुर मात्रा में जल न होने से गंगा का प्रवाह सामान्य भी नहीं रह गया है। ऐसे में कहीं गंगा का प्रवाह ठहर रहा है तो कहीं कटान बढ़ रहा है। अविरल गंगा बिना बात नहीं बनेगी'

-प्रो. यूके चौधरी, नदी वैज्ञानिक।


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