विभोर कर गई गंगा की विराट महाआरती, भजनों से गूंजा गंगा तट
देवाधिदेव महादेव की नगरी में देवदीपावली का रंग इस बार सर्वधर्म सद्भाव के रंगों में नहाया। काशीवासियों ने अस्सी घाट पर सर्वधर्म दीप महोत्सव मनाया। श्रद्धालुओं से अंड़से गंगा के पाट पर जाह्नवी की विराट आरती से विह्वïल मन से हर हर महादेव का उद्घोष निरंतर गूंजता रहा। ख्यात पाश्र्व
वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी में देवदीपावली का रंग इस बार सर्वधर्म सद्भाव के रंगों में नहाया। काशीवासियों ने अस्सी घाट पर सर्वधर्म दीप महोत्सव मनाया। श्रद्धालुओं से अंड़से गंगा के पाट पर जाह्नवी की विराट आरती से विह्वïल मन से हर हर महादेव का उद्घोष निरंतर गूंजता रहा। ख्यात पाश्र्व गायिका अनुराधा पौडवाल ने गीत-भजनों से भाव गंगा बहाई। मौका था ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम की ओर से बुधवार को आयोजित सर्वधर्म सद्भाव दीप महोत्सव का। इस दिव्य दृश्यावली के बीच आश्रम के परमाध्यक्ष व गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानंद सरस्वती 'मुनि जीÓ ने गंगा की प्रदूषित न करने, ऐसा दूसरों को भी न करने देने का संकल्प दिलाया।
उन्होंने कहा कि काशी की गंगा आरती विश्वविख्यात हो चुकी है। इसकी गणना अतुल्य भारत में होती है। इसका श्रीगणेश 1999 में प्रभु प्रेरणा देकर दशाश्वमेध घाट पर कराया गया था। इस बार देवदीपावली पर अस्सी से सद्भाव, सद्भाव महाआरती का आरंभ किया गया। अगले साल काशी के समस्त घाटों पर सद्भाव, समरसता व देश की सहिष्णुता की महाआरती होगी। इस दौरान सभी धर्म के प्रतिनिधि संतों ने काशी के 84 घाटों के नाम से उनके समरसता और सद्भाव का पाट बनने की कामना से आकाशदीप उड़ाए। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि सभी मिलकर ऐसा दीप जलाएं ताकि इन दीपों की तरह एकता का दीप जलता रहे। इससे पहले पूर्वोत्तर राज्यों के बच्चों ने मोहक नृत्य प्रस्तुत किए। संतों में अजमेर शरीफ से दीवान सैयद जैनुल अबेदीन अली खान, जैन धर्म से आचार्य लोकेश मुनि, सिख धर्म से परजीत सिंह चंद्रोक, इस्कान टेम्पल दिल्ली से महामंत्र दास, बहाई धर्म के डा. एके मर्चेंट, डा. मेहर मास्टर मूस, बौद्ध धर्म से सुमेध थेरो शामिल थे। पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह, राज्य मंत्री सुरेंद्र पटेल, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल, आरएसएस की विदेश इकाई के प्रतिनिधि रविकुमार आदि थे। संयोजन में इंडियन कौंसिल आफ रिलीजियस लीडर संयोजन सहभागी रहा। सुबह ए बनारस व जय मां गंगा सेवा समिति ने सहयोग किया। संचालन परमार्थ निकेतन आश्रम के कार्यक्रम क्रियान्वयन निदेशक राम महेश मिश्र ने किया।
गंगा तट पर पहुंचे लाखों आस्थावान
पूरे दिन के विश्राम के बाद जैसे ही चांद ने अंगड़ाई ली, काशी के ऐतिहासिक घाट दीपों की रोशनी से नहा उठे। कहीं दीप माला सजी तो कहीं स्वास्तिक। कार्तिक पूर्णिमा पर बुधवार को असंख्य दीपों से जगमग काशी के घाट अलौकिक छटा बिखेर रहे थे। आतिशबाजी से आकाश में रोशनी की अनुपम छटा बिखरती रही। मोक्षदायिनी काशी के प्राचीन ऐतिहासिक 84 घाटों पर जलते असंख्य दीप। गंगा की पावन गोद में अठखेलियां करतीं दीपों की रोशनी। वेद मंत्रों व भजन के मध्य हर-हर महादेव की अनुगूंज। लाखों आस्थावानों को सुखद अहसास करा रहे थे। ऐसा लग रहा था, मानो धरा पर स्वर्ग के द्वार खुल गए हों और वहां से आने वाली रोशनी से काशी के प्राचीन घाट नहा उठे हों। कुछ ऐसा ही अनुपम-अलौकिक नजारा रहा बुधवार को देव दीपावली पर काशी केप्राचीन ऐतिहासिक घाटों का। दीपों के दप-दप से यह भी महसूस हुआ कि देवी-देवता आकाश से घाटों पर उतर आए हों और गंगा तट के आठ किलोमीटर इलाके में ही तीनों लोक समा गए हों। अस्सी से लेकर आदिकेशव व खिड़किया घाट तक रोशनी बिखेरते असंख्य दीप। हर शख्स को आहृलादित कर रही थी। मां गंगा के पावन तट पर दीपों की रोशनी थी तो आसमान में आतिशबाजी का आतिशी नजारा।