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यहां संध्या तर्पण के दौरान रेत से की थी शिवलिंग की स्थापना

काशी की धरोहर श्रृंखला के महत्वपूर्ण तीर्थधाम व पंचकोशी परिक्रमा का तीसरा पड़ाव स्थल धर्म नगीना व आस्था का केंद्र रामेश्वर धार्मिक महत्ता का स्थल है। जहां देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु मन्नतें पूरी होने के लिए यहां मत्था टेकते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 03:44 PM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 03:48 PM (IST)
यहां संध्या तर्पण के दौरान रेत से की थी शिवलिंग की स्थापना

हरहुआ। काशी की धरोहर श्रृंखला के महत्वपूर्ण तीर्थधाम व पंचकोशी परिक्रमा का तीसरा पड़ाव स्थल धर्म नगीना व आस्था का केंद्र रामेश्वर धार्मिक महत्ता का स्थल है। जहां देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु मन्नतें पूरी होने के लिए यहां मत्था टेकते हैं।

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रामेश्वर महादेव दरबार धार्मिक आस्था का केंद्र तो है ही, मंदिर का कला शिल्प किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी है। 18वीं शताब्दी की इस खास कलाकृति की विलक्षणता को देखते हुए इसके विस्तार की जरूरत भक्तजनों द्वारा महसूस की जा रही है। अति प्राचीन मंदिरों में एक रामेश्वर महादेव मंदिर अति प्राचीन मंदिरों में से एक है। जहां रावणवध के बाद पाप से मुक्ति की कामना को लेकर भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम वरुणा तट आए थे। उन्होंने एक रात्रि विश्राम के दौरान संध्या तर्पण में एक मु_ी रेत से शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी शिवलिंग पर विशाल मंदिर व वरुणा नदी तट पर घाट और बारजा का निर्माण जनकोजी राव सिंधिया ने शुरू कराया। इसे जीवाजी राव सिंधिया ने पूर्ण कराया। ग्वालियर में तराशे गए लाल पत्थरों से मंदिर का निर्माण कराया गया है। सिंधिया परिवार के साथ-साथ किला के निर्माण में अहिल्याबाई ने भी योगदान दिया।

संस्कृति विभाग ने किया था प्रयास- रामेश्वर महादेव मंदिर अपनी प्राचीनता को समेटे हुए है लेकिन प्रकृति की मार से जगह-जगह कमजोर हो रहा है। मंदिर के चारों ओर पत्थरों के ऊपर चारों दिशाओं में पीतल के कंगूरे और पत्थरों के अवशेष पीपल, नीम, वट व जंगली घास का शिकार होकर गिर रहा है। चार वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग ने कुछ जीर्णोद्धार कराया लेकिन मंदिर, घाट, किला, बारजा फिर से टूटने लगे। संस्कृति विभाग द्वारा एक वर्ष से मंदिर भवन व बारजा का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है लेकिन जरूरत है मंदिर के बाहरी कलाकृतियों एवं कंगूरे, त्रिशूल सहित पत्थरों के नक्काशी के बीच पड़ी दरारों को हटाने और मजबूती देने की।

देव पंचायत लिंग भी स्थापित- रामेश्वर महादेव तीर्थधाम में भगवान श्रीराम, भरत, शत्रुध्न, लक्ष्मण व हनुमान के हाथों शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर परिसर में सोमेश्वर, अग्नेश्वर, धावाभूमिश्वर नहुषेश्वर, भरतेश्वर, लक्ष्मणोश्वर, शस्त्रुध्नेश्वर, देव पंचायत लिंग (16 शिवलिंग एक साथ) स्थापित हैं। वरुणा तट पर असंख्यात शिवलिंग व झाड़ी महादेव शिवलिंग स्थापित है जहां आदिगंगा व वरुणा का जल ताम्र पात्र में बेल पत्र, चंदन, पुष्प, चावल (अक्षत), चढ़ाकर दुग्धविशेष व रुद्राविशेषक की परंपरा है।

रामेश्वर धार्मिक तीर्थ धाम में शैव संप्रदाय के साथ वैष्णव संप्रदाय का अद्भूत मिलन केंद्र है।

ऊरामेश्वर तीर्थ- शिवालय का अद्भुत कला शिल्प नष्ट होने के कगार पर, ग्वालियर के लाल पत्थरों का भी हो रहा क्षरण

मां तुलजा-दुर्गा दरबार रामेश्वर तीर्थ धाम में ही महाराष्ट्र के मराठों की देवी मां तुलजा व साथ में दुर्गा मंदिर है जहां आस्था का संगम मिलता है। जन-जन दुखियारी मत्था टेकते हैं। इन्हें कल्याणदायिनी अंबे नाम से पुकारा जाता है। यहां औरंगजेब मुगल भी शक्ति के प्रभाव के आगे पनाह मान भाग खड़ा हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस धर्म स्थल पर हाजिरी लगाने वाले की मुराद पूरी होती है।

हर दिन चलता भक्तों का पर्व-मंदिर परिसर में आदिकालीन पाषाण युग की दुलर्भ मूर्तियां स्थापित हैं। दत्तात्रय जी, राम-लक्ष्मण जानकी, हनुमान, गणोश, नर्सिग, काल भैरव, सूर्य नारायण, साक्षी विनायक विद्यमान हैं। रामेश्वर महादेव तीर्थधाम में प्रमुख लोटा-भंटा मेला, शिवरात्रि मेला सहित हर दिन पर्व चलता रहता है। जन-जन के कल्याण का केंद्र रामेश्वर महादेव तीर्थ धाम बन गया है। एनामिल पेंट से पत्थरों को क्षति-मोक्ष नगरी काशी में मुक्ति के लिए तारक मंत्र देने वाले रामेश्वर महादेव (देवाधिदेव) के दरबार को संरक्षण की जरूरत है। पुरानी धरोहरों को पर्यटन विभाग, पुरातत्व विभाग, संस्कृति विभाग मिलकर संयुक्त योजनाएं बनाएं। पुरानी शैली को मजबूती व जीवंतता देने का कार्य करें। सबसे बड़ा खतरा जंगली वट, पीपल, नीम, बबूल व अन्य जंगली घासों से है।


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