आपको कहीं बदरंग न कर दें सिंथेटिक रंग
होली का पर्व नजदीक आने के साथ बाजार अबीर, गुलाल, पिचकारी आदि से सज गया है। होली को लेकर खरीददारी शुरु हो गई लेकिन सिंथेटिक रंग के प्रयोग को चिकित्सक शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक मान रहे हैं, त्वचा रोग विशेषज्ञों की मानें तो होली पर सिंथेटिक रंग से त्वचा
रुड़की। होली का पर्व नजदीक आने के साथ बाजार अबीर, गुलाल, पिचकारी आदि से सज गया है। होली को लेकर खरीददारी शुरु हो गई लेकिन सिंथेटिक रंग के प्रयोग को चिकित्सक शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक मान रहे हैं, त्वचा रोग विशेषज्ञों की मानें तो होली पर सिंथेटिक रंग से त्वचा रोग हो सकते हैं।
इसलिए होली पर इन रंगों का प्रयोग से बचना चाहिए। होली पर सबसे अधिक मांग रंगों को लेकर रहती है। अबीर-गुलाल के साथ लोग सिंथेटिक रंगों का भी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएमपी सिंह ने बताया कि सिंथेटिक रंग से अक्सर शरीर पर निशान पड़ जाते है, कई बार तो काले एवं सफेद रंग के निशान इतने गहरे हो जाते है जिनको हटाना मुश्किल होता है। सिंथेटिक रंग से लहर, जलन, खुजली आदि हो सकती है।
होली पर प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल ही सबसे अधिक सुरक्षित है, यह रंग मेहंदी के पत्तों, टेंसू के फूल, हल्दी, बेसन आदि से तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा पेडों की छाल से भी बनाए गए रंग भी शरीर के लिए उपयुक्त होते हैं।होली पर प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल ही सबसे अधिक सुरक्षित है, यह रंग मेहंदी के पत्तों, टेंसू के फूल, हल्दी, बेसन आदि से तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा पेडों की छाल से भी बनाए गए रंग भी शरीर के लिए उपयुक्त होते हैं।