जौनपुर में खुदाई में मिली देव मूर्तियां व द्वापर युगीन अवशेष
मादरडीह में चल रहे उत्खनन के दौरान मिल रहे प्राचीन अवशेषों को लेकर जनपद सुर्खियों में है। इस दशा में दृष्टि स्वाभाविक रूप से ऐसे अन्य ऐतिहासिक स्थलों की ओर जाती है जिन्हें लेकर दंत कथा और मान्यताएं प्रचलित हैं। लोगों का मानना है कि वाचिक परंपरा से चली आ रही इन कथाओं को आधार मान कर इन स्थानों पर भी खुदाई कराई जा
जौनपुर। मादरडीह में चल रहे उत्खनन के दौरान मिल रहे प्राचीन अवशेषों को लेकर जनपद सुर्खियों में है। इस दशा में दृष्टि स्वाभाविक रूप से ऐसे अन्य ऐतिहासिक स्थलों की ओर जाती है जिन्हें लेकर दंत कथा और मान्यताएं प्रचलित हैं। लोगों का मानना है कि वाचिक परंपरा से चली आ रही इन कथाओं को आधार मान कर इन स्थानों पर भी खुदाई कराई जाए तो कई पुरातात्विक रहस्यों से पर्दा हट सकता है।
जौनपुर के सोनाई, खड़वाधावा व हथेरा गांव की मिट्टी रहस्यों से भरपूर है। यहां जब भी खुदाई होती है तो मूर्तियों का भंडार मिलता है। अब तक भगवान विष्णु, गौतम बुद्ध सहित अनेक देवी देवताओं की मूर्तियों सहित तमाम द्वापर युगीन अवशेष मिल चुके हैं।
बरसठी क्षेत्र का सोनाई गांव अपने आप में बेमिसाल है। 90 फीट का शिव लिंग, सैकड़ों वर्ष पुरानी विष्णु भगवान की मूर्ति और रहस्यमय कुआं। जहां ऐसे दुर्लभ नजारे दिखने को मिले वह स्थान असाधारण ही है। ग्रामीणों के अनुसार गांव के दो भीटों के बीच स्थित तालाब के अवशेष द्वापर युगीन प्रतीत होते हैं। सोनाई ग्राम के पश्चिमी कोने पर ग्रामीणों को शिव लिंग दिखाई पड़ा।
सैकड़ों वर्ष पहले की बात है। इसे लेकर गांव में काफी कौतूहल हुआ। एक राय होकर ग्रामीणों ने सोचा कि इसकी खोदाई कर बीच गांव में शिव मंदिर की स्थापना की जाय। इसके बाद खुदाई का काम शुरू हुआ। 90 फीट की खुदाई के बाद असीमित लंबाई का अंदाजा लगने पर ग्रामीणों ने वहीं पर मंदिर की स्थापना कराई। इसी खोदाई के दौरान ही तरह-तरह के सैकड़ों वर्ष पुराने अवशेष मिले। भीटे की भी खोदाई की गई तो विष्णु भगवान की खण्डित मूर्ति व अन्य मूर्तियां बरामद हुई। उन्हें भी शिव मन्दिर में ही रख दिया गया। कहा जाता है कि मंदिर के बगल में एक कुआं है जिसमें रहस्यमयी गुफा भी है जो कई किलोमीटर लंबा था और भदोही की सीमा पर स्थित वरुणा नदी में निकलता था। सुरंग आज भी 50 मीटर लम्बी है। कुएं के बगल में दोनों भीटों के बीच खेतों के किनारे ईटों के अवशेष आज भी मिलते हैं। ये ईट द्वापर युगीन बताए जाते हैं। प्राचीनता के साथ ही खेत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी युग में यहां तालाब ही रहा होगा।
प्राचीन राज्य होने की संभावना-
टीडी कालेज में प्राचीन इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डा.एसएन उपाध्याय बताते हैं कि यदि इस स्थान की खोदाई कराई जाए तो नि:संदेह ही ऐसे तथ्य सामने आएंगे जिससे यह स्पष्ट हो सकता है कि पूर्व में यहां कोई राज्य था अथवा राजा महाराजाओं का विशेष स्थान। इसी के साथ ही सोनाई गांव के आगोश में छिपे कई रहस्य भी शोध के आधार पर सामने आ सकते हैं।
खड़वाधावा व हथेरा का सोनाई से गहरा संबंध-
इसी क्षेत्र के खड़वाधावा तथा लगभग 30 किमी दूर हथेरा गांव में भी इसी तरह की मूर्तियां व अवशेष देखे जाते हैं। इसके पीछे भी इतिहासकार यह मानते हैं कि प्राचीन समय में इन तीनों गांवों का आपस में कोई न कोई मेल रहा होगा।