चतपूर्णी मंदिर के ट्रस्टियों की अपील खारिज
वित्तायुक्त (अपील) ने चिंतपूर्णी मंदिर प्रबंधन समिति से चार गैर सरकारी सदस्यों के निष्कासन पर लगे स्थगनादेश को खत्म कर दिया है। मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त ऊना अभिषेक जैन द्वारा इन्हें हटाए जाने बारे पारित किए गए आदेशों को न्यायपूर्ण, तर्कसंगत व उच्च न्यायलय के आदेशों के अनुरूप माना गया
ऊना । वित्तायुक्त (अपील) ने चिंतपूर्णी मंदिर प्रबंधन समिति से चार गैर सरकारी सदस्यों के निष्कासन पर लगे स्थगनादेश को खत्म कर दिया है। मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त ऊना अभिषेक जैन द्वारा इन्हें हटाए जाने बारे पारित किए गए आदेशों को न्यायपूर्ण, तर्कसंगत व उच्च न्यायलय के आदेशों के अनुरूप माना गया है।
उच्च न्यायालय ने 23 अप्रैल 2008 को चिंतपूर्णी मंदिर संचालन के लिए मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त ऊना की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय एक कमेटी गठित की थी। इसमें चार सदस्य, चार पुजारियों के टोले ऊपरले, ङिागले, मोनिया तथा गबले वाले टोले में से एक-एक सदस्य जिनका पुजारी अंशदान सबसे ज्यादा हो, को नियुक्त होना था। चार पुजारी सदस्यों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2011 में करीब 40 पुजारियों ने आवेदन किए। इसके तहत ऊपरले, ङिागले, मोनिया तथा गबले वाले टोले में से क्रमश: सबसे अधिक पुजारी अंशदान वाले पुजारी न्यासियों को नियुक्त करना था। लेकिन इसमें ऊपरले, ङिागले, मोनिया तथा गबले वाले टोले में से क्रमश: निरंजन कालिया, सतीश कुमार, केवल कृष्ण और अंकुर कालिया को चिंतपूर्णी मंदिर प्रबंधन समिति का सदस्य बनाया गया। इन सदस्यों की गलत नियुक्ति बारे सूचना शिकायत के माध्यम से मंदिर आयुक्त एवं उपायुक्त को प्राप्त हुई थी। जिसकी जांच एडीसी ऊना के माध्यम से करवाई गई थी।
जांच में चारों गैर सरकारी सदस्यों की गलत नियुक्ति की पुष्टि हुई थी। चारों मंदिर न्यास सदस्यों को सुनवाई का पूरा मौका देने तथा रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद 25 जुलाई 2013 को चारों सदस्यों की नियुक्ति को गैरकानूनी तथा उच्च न्यायालय के आदेशों की उल्लंघना पाया गया था। इसके बाद मामले को मंदिर आयुक्त द्वारा मुख्य आयुक्त मंदिर एवं प्रधान सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग को प्रेषित किया गया, जिन्होंने भी नौ अक्टूबर, 2013 को नियुक्तियों को गलत ठहराया।
इस पर मंदिर आयुक्त व डीसी ऊना अभिषेक जैन ने बताया कि इस बारे चारों हटाए गए पुजारी न्यासियों को नौ फरवरी, 2015 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए तथा 24 व 27 फरवरी, 2015 को जबाव प्राप्त हुए थे। हटाए गए चारों पुजारी न्यासियों द्वारा दिए गए जवाब को असंतोषजनक पाया गया। ऐसे में 29 अप्रैल, 2015 को चिंतपूर्णी मंदिर प्रबंधन समिति के इन चारों गैर सरकारी सदस्यों को हटा दिया गया था। इस मामले में चारों पुजारी सदस्यों ने वित्तायुक्त के पास अपील दायर की थी और उन्होंने पांच मई को इन्हें हटाने पर स्टे दिया था। लेकिन स्टे के समय केवल पुजारियों का पक्ष रखा गया था। इस पर मंदिर प्रबंधन की तरफ से जांच रिपोर्ट, उच्च न्यायालय के निर्देश व संबंधित तथ्य जब सामने रखे गए तो वित्तायुक्त ने चारों अपीलें खारिज कर दीं।