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शीतकालीन चारधाम यात्रा को सुरक्षित उत्तराखंड स्वागत को तैयार

दैवीय आपदा के कहर से त्रस्त उत्तराखंड को शीतकालीन चारधाम यात्रा उम्मीद की नई किरण दिखा रही है। राज्य सरकार द्वारा पहली बार प्रारंभ की जा रही शीतकालीन यात्रा प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय के लिए तो संजीवनी साबित होगी ही, देश व विदेश में 'सुरक्षित उत्तराखंडÓ का संदेश देने में

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 10 Dec 2014 03:05 PM (IST)Updated: Wed, 10 Dec 2014 03:11 PM (IST)
शीतकालीन चारधाम यात्रा को सुरक्षित उत्तराखंड स्वागत को तैयार

देहरादून। दैवीय आपदा के कहर से त्रस्त उत्तराखंड को शीतकालीन चारधाम यात्रा उम्मीद की नई किरण दिखा रही है। राज्य सरकार द्वारा पहली बार प्रारंभ की जा रही शीतकालीन यात्रा प्रदेश में पर्यटन व्यवसाय के लिए तो संजीवनी साबित होगी ही, देश व विदेश में 'सुरक्षित उत्तराखंडÓ का संदेश देने में भी सफल होगी। यही वजह है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शीतकालीन चारधाम यात्रा के प्रचार-प्रसार की कमान खुद संभालते हुए देशी-विदेशी पर्यटकों व श्रद्धालुओं से शीतकाल में देवभूमि आकर चारों धाम के दर्शनों का लाभ लेने की अपील की। साथ ही, साहसिक पर्यटन व वाइल्ड लाइफ सफारी का आनंद लेने का भी न्योता दिया।

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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पारंपरिक चारधाम यात्रा अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर तक करीब छह महीने संचालित होती है। इसके बाद शीतकाल में चारों धाम के कपाट बंद होने पर यमुनोत्री की मूर्ति खरसाली, गंगोत्री की मुखबा, केदारनाथ की ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ व बदरीनाथ जी की मूर्ति नृसिंह मंदिर जोशीमठ में स्थापित की जाती है। तीर्थ पुरोहितों व पंडा समाज के विद्वान लोगों के अनुरोध पर सरकार ने खरसाली, मुखबा, ऊखीमठ व जोशीमठ के लिए भी शीतकालीन चारधाम यात्रा प्रारंभ की है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए यह एक नया व बेहतरीन अवसर है। सदियों में जब मैदानी क्षेत्रों में धुंध व ठंड अधिक होती है, पहाड़ों में मौसम पूरी तरह खुला होता है। ऐसे में शीतकाल में यह चारधाम यात्रा अधिक सुलभ, सस्ती व आनंदायक साबित होगी। धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन, इको-टूरिज्म व वाइल्डलाइफ सफारी का आनंद भी ले सकते हैं। सर्दियों में हिमाच्छादित हिमालय के भव्य दर्शन भी किए जा सकते हैं। सर्दी में आफ सीजन की वजह से पर्यटकों को आवास व टैक्सी आदि भी अपेक्षाकृत कम दरों पर उपलब्ध रहती हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि शीतकालीन यात्रा के दौरान उत्तरकाशी के दयारा, चमोली के औली व रुद्रप्रयाग के दुगलबिट्टा-चोपता में बर्फ मौजूद होने से स्कीईंग का आनंद भी लिया जा सकता है। राज्य के अधिकतर राष्ट्रीय पार्क 15 नवंबर से खुलते हैं। ऐसे में वाइल्ड लाइफ सफारी के भी पर्याप्त अवसर मौजूद रहेंगे। शीतकालीन चारधाम यात्रा मंदिरों के आसपास सातताल ट्रेक, हर्षिल से पंचमुखी महादेव, दुगलविटा, चोपता, तुंगनाथ, चंद्रशिला, क्वारीपास, औली, ताली, खुलरा, जोशीमठ कल्पेश्वर, आदि ट्रेक पर ट्रेकिंग की जा सकती है। गंगा में रिवर राफ्टिंग का भी आनंद लिया जा सकता है।


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