बौद्ध समाज के लिए अलग विवाह कानून बनाने का मसौदा इसी माह
राज्य सरकार ने बौद्ध समाज के लिए अलग विवाह कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है। सामाजिक न्याय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस कानून का मसौदा इस माह के अंत तक तैयार कर लिया जाएगा।
मुंबई | राज्य सरकार ने बौद्ध समाज के लिए अलग विवाह कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है। सामाजिक न्याय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस कानून का मसौदा इस माह के अंत तक तैयार कर लिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बौद्ध समाज लंबे समय से अलग विवाह कानून की मांग करता आ रहा है।
संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के वर्ष 1957 में नागपुर में बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद से ही समाज की ओर से यह मांग की जा रही है।
सबसे पहले इस संबंध का प्रस्ताव पूर्ववर्ती आघाड़ी सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन कैबिनेट मंत्री डॉ. नितिन राऊत ने रखा था।
राऊत के प्रस्ताव के मद्देनजर उसी वर्ष एक समिति का गठन किया गया। इसमें विभिन्न विभागों के सचिव तथा अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष शामिल थे। अनुसूचित जाित- जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने राऊत के प्रस्ताव में कुछ विसंगतियां पाईं, जिसके कारण नया प्रस्ताव बनाया जा रहा है।