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ब्रज संस्कृति का संवर्धन कर रहा शोध संस्थान

वृंदावन शोध संस्थान ब्रज संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन एवं ज्ञान संप्रेषण के लिए अहम भूमिका निभा रहा है। संस्थान में मौजूद हस्तलिखित ग्रंथों का संरक्षण वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है। संस्थान के ये प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए भी लाभदायक सिद्ध होंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 29 Nov 2014 02:23 PM (IST)Updated: Sat, 29 Nov 2014 02:27 PM (IST)
ब्रज संस्कृति का संवर्धन कर रहा शोध संस्थान

वृंदावन। वृंदावन शोध संस्थान ब्रज संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन एवं ज्ञान संप्रेषण के लिए अहम भूमिका निभा रहा है। संस्थान में मौजूद हस्तलिखित ग्रंथों का संरक्षण वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है। संस्थान के ये प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए भी लाभदायक सिद्ध होंगे।

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सन 1968 में स्थापित हुए वृंदावन शोध संस्थान द्वारा निजी तथा व्यक्तिगत पांडुलिपि संग्रह केंद्रों की पाडुलिपियों का संरक्षण वैज्ञानिक विधि द्वारा किया जाता रहा है। संस्थान में विभिन्न शासकों के फरमानों सहित भारतीय भाषाओं में लिपिबद्ध करीब 35 हजार पांडुलिपियों के संग्रहण हैं। इन सभी पाण्डुलिपियों का भारतीय तथा विदेशी शोधार्थी जरूरत के आधार पर उनका उपयोग कर रहे हैं। संस्थान को डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से शोध केंद्र के रूप में मान्यता मिल चुकी है। अब तक 25 अनुसंधानकर्ताओं को विवि द्वारा पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के ग्रंथ संरक्षण केंद्र के रूप में वृंदावन शोध संस्थान ने विभिन्न ग्रंथ स्वामियों के संग्रह ने 77 हजार 70 पांडुलिपि-पत्रंकों का प्राथमिक संरक्षण तथा 8 हजार 262 पत्रंकों का क्यूरेटिव संरक्षण पूरा कर लिया है।


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