बदरीशपुरी में बर्फ देख सैलानी मुग्ध
सूरज की पहली किरण के पड़ते ही बर्फ से ढके नर और नारायण पर्वत सुनहरे नजर आ रहे हैं। भगवान बदरी-विशाल के दर्शनों के बाद पर्वत का एकटक निहार रहीं 28 साल की देवी आनंद कुदरत के इस अनुपम सौंदर्य पर मुग्ध हैं। शादी के एक माह बाद ही पति
बदरीनाथ। सूरज की पहली किरण के पड़ते ही बर्फ से ढके नर और नारायण पर्वत सुनहरे नजर आ रहे हैं। भगवान बदरी-विशाल के दर्शनों के बाद पर्वत का एकटक निहार रहीं 28 साल की देवी आनंद कुदरत के इस अनुपम सौंदर्य पर मुग्ध हैं। शादी के एक माह बाद ही पति अभय आनंद के साथ वह शनिवार को ही बदरीनाथ पहुंची।
वह कहती हैं, अप्रैल में भी बदरीशपुरी बर्फ की चादर ओढ़े हुए है। यकीन नहीं आता। यात्रियों की तादाद से भी साफ है कि आपदा का खौफ काफी हद तक उडऩछू हो चुका है। इस बार बदरीनाथ में पहले ही दिन पिछले साल की तुलना में करीब तीन गुना श्रद्धालु पहुंचे हैं। शीतकाल में हुई भारी बर्फबारी ने भले ही शासन और प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी की हों, लेकिन यहां पहुंचे यात्री कुदरत के नजारे देख अभिभूत हैं। अंबाला (हरियाणा) अभय आनंद कहते हैं यहां आने से पहले हम हिचक रहे थे। परिजन भी सलाह दे रहे थे कि आपदा के बाद उत्तराखंड जाने से बचना चाहिए। वह कहते हैं अब उन्हें अपने फैसले पर पछतावा नहीं है। दरअसल, बदरीनाथ धाम का यह रूप पहले कभी देखने को नहीं मिला। जोशीमठ और बदरीनाथ के बीच दर्जनभर स्थानों पर हिमखंडों के बीच से गुजर यात्र रोमांच से भरपूर है तो बर्फ से ढका धाम विहंगम। मदिर परिसर और परिक्रमा पथ को साफ कर दिया गया है, लेकिन नगर में सड़क के दोनों ओर पांच से सात फीट बर्फ जमा है। होटल, लॉज और दुकानो की छतों पर हिमचादर बिछी हुई है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से माता-पिता के साथ आईं 40 साल की गीत अग्रवाल का अनुभव भी जुदा नहीं है। वह कहती हैं हम हिम्मत कर यहां आए हैं, लेकिन यहां के दृश्य देखने के बाद वापसी का कार्यक्रम एक दिन और आगे बढ़ा दिया है। चमोली के जिलाधिकारी अशोक कुमार कहते हैं कि राजमार्ग पर हिमखंडों से किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है। यात्रियों की मदद के लिए मार्ग में जगह-जगह एसडीआरएफ और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यात्रियों के लिए यह सफर यादगार अनुभव होगा।