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बरसाने की रंगीली से गलियां हुई सनीली

इस होरी में बालक भी पीछे नहीं रहे। वे भी रंग के गड़ुआ, बाल्टी, पिचकारी लेकर जगह-जगह डटे थे और उनकी नजर सखियों पर ही थी। होरी में कोई गोरी रंगे बिना नहीं रही।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 07 Mar 2017 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 07 Mar 2017 01:25 PM (IST)
बरसाने की रंगीली से गलियां हुई सनीली
बरसाने की रंगीली से गलियां हुई सनीली
बरसाना (मथुरा)।  रंग के कलशन मै बोरी भई बौराई सी रंगीली भोर आई है, बरसाने मै रसिकन पै मस्ती छाई है, होरी की धूम मचाई है। रसना राधे-राधे गाई है, झूमती गलियां रंग रस ते सरसाई हैं। कण कण मै राधे कौ रंग है... तबही तौ एक रसिक गाय रह्यौ रंग राधा रंग मोहन, रंग बदन सब अंग है, आज बरसाने मै रंग है। ऐसौ प्रतीत है रह्यौ कि जैसै चहुं ओर किशोर-किशोरी फाग खेल रहे हैं। 
सोमवार को लाली के धाम मै रंगीली कौ रंग बरसौ। सुबह ही मार्ग में मस्तानेन की टोली एक दूजे पै अबीर- गुलाल उड़ाती, ढोल नगाड़े पै नाचती निकली। परिक्रमा मार्ग में कनुआ किशोरी के प्रेम का फाग मचा। जगह-जगह ग्वाल-बाल हाथों में पिचकारी लिए खड़े थे। जैसे ही राधा रानी की सखियां निकलतीं, उन पर पिचकारी की धार मारते। कोई गुलाल की मूठें चलाता। सखियों की आंखों में गुलाल भर जाता। वो जितनी बचतीं, सखा उतना ही सताते। ग्वारे कहते, अरी हमते उ रंग लगवाय ले। सखियों को रंग में तर-बतर कर दिया। इस होरी में बालक भी पीछे नहीं रहे। वे भी रंग के गड़ुआ, बाल्टी, पिचकारी लेकर जगह-जगह डटे थे और उनकी नजर सखियों पर ही थी। होरी में कोई गोरी रंगे बिना नहीं रही। 
मान मंदिर में भी फाग का उत्सव अपने चरमोत्कर्ष पर था। परिक्रमा करते हुए रसिक मान बिहारी के दर्शन को पहुंचे। वहां रसिया मंडली जमी थी। आसपास के गांवों से आई टोली ने होली के रसिया का रंग बरसाया, जिसमें भीजकर रसिकों के कदम थिरकने लगे। उसके बाद मंदिर के विरक्त संत रमेश बाबा ने होरी गाई। शाम तक ये उत्सव चला।   

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