बांके बिहारी को एक महीने दिया जाएगा सत्तू भोग
ब्रजवासी अपने प्रिय 'लालाÓ यानी ठाकुरजी को गर्मी से राहत देने को फूल बंगला सजाते हैं। भोग में परिवर्तन कर उन्हें सत्तू और फलों के रस का शर्बत परोस रहे हैं। भावना यह कि उनके लाड़ले को गर्मी में किसी प्रकार की परेशानी न हो। ठाकुरजी को अक्षय तृतीया से
वृंदावन। ब्रजवासी अपने प्रिय 'लालाÓ यानी ठाकुरजी को गर्मी से राहत देने को फूल बंगला सजाते हैं। भोग में परिवर्तन कर उन्हें सत्तू और फलों के रस का शर्बत परोस रहे हैं। भावना यह कि उनके लाड़ले को गर्मी में किसी प्रकार की परेशानी न हो। ठाकुरजी को अक्षय तृतीया से एक महीने तक सत्तू भोग परोसा जाएगा।
श्रीधाम में बांकेबिहारी मंदिर के अलावा राधाबल्लभ, राधारमण, राधादामोदर, राधाश्यामसुंदर, राधागोङ्क्षवद देव, गोपीनाथ, मदनमोहन समेत करीब पांच हजार मंदिरों में गर्मी के मौसम में प्रसाद में बदलाव हो चुका है। गरिष्ठ भोजन (पकवान) में कमी करके ठाकुरजी को कच्चा प्रसाद परोसा जा रहा है। जिसमें दाल, चावल के अलावा खीर, रबड़ी, दूध-भात जैसे पदार्थों के साथ दोपहर और उत्थापन भोग में सेवायत सत्तू और फलों के रस का शर्बत प्रयोग कर रहे हैं। श्रीराधा रमणमंदिर के मन्माध्वगौड़ेश्वराचार्य अभिषेक गोस्वामी कहते हैं, सत्तू का प्रयोग गर्मी से राहत देने के लिए किया जाता है। ब्रज में अपने आराध्य को मौसम के अनुरूप वस्तुओं का भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद प्रसाद के रूप में सभी ब्रजवासी उसे लेते हैं।
अक्षय तृतीया पर सत्तू और फलों के रस का शर्बत का भोग ठाकुरजी का लगाया जाता है, इसके बाद करीब एक महीने तक नित उत्थापन भोग में सत्तू भोग ठाकुरजी को परोसा जाएगा। इसके बाद सेवायत इस प्रसाद को भक्तों में बांटते हैं।
राधाबल्लभ मंदिर के सेवायत अनिल गोस्वामी बताते हैं गर्मी के दिनों सत्तू का प्रसाद लोगों को ठंडक प्रदान करता है। फलों का शर्बत और ठंडाई भी गर्मी से राहत देने के उद्देश्य से ही ठाकुरजी को अर्पित कर भक्तों में बांटी जाती है। वृंदावन में घर-घर गर्मी के दिनों में ठंडाई बनाई जाती है। लेकिन इसे पहले ठाकुरजी को अर्पित किया जाता है, इसके बाद उसे प्रसाद रूप में ब्रजवासी ग्रहण करते हैं।