बजरंगबली ने सूर्य देव से ही अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण की थी
पवनपुत्र हनुमानजी की मां अंजनी उनकी शिक्षा को लेकर काफी चिंतित थी। इसलिए उन्होंने इस बारे में सूर्य देव से चर्चा की, उन्होंने सूर्य देव से कहा, 'हे सूर्य देव आप बजरंगबली को ज्ञान प्रदान करें। इस समय आपसे बेहतर शिक्षक कोई नहीं है।'
पवनपुत्र हनुमानजी की मां अंजनी उनकी शिक्षा को लेकर काफी चिंतित थी। इसलिए उन्होंने इस बारे में सूर्य देव से चर्चा की, उन्होंने सूर्य देव से कहा, 'हे सूर्य देव आप बजरंगबली को ज्ञान प्रदान करें। इस समय आपसे बेहतर शिक्षक कोई नहीं है।'
लेकिन, बचपन में हनुमानजी ने सूर्य देव को अपने मुंह में रख लिया था। जिसके कारण वह नाराज थे। इसलिए माता अंजनी से कहा, 'मैं इन दिनों व्यस्त हूं। इसलिए बजरंगबली को शिक्षा नहीं दे पाउंगा।'
बजरंगबली भी अपनी माता अंजनी के साथ सूर्य लोक आए हुए थे। उन्होंने सूर्य देव से कहा, 'हे सूर्य देव में आपसे ही शिक्षा ग्रहण करना चाहुंगा। आप अपने नियमित कर्तव्यों का निर्वाहन करते रहें। इस तरह सूर्य देव द्वारा बजरंगबली की शिक्षा शुरु हो गई।'
सूर्य देव ने ही हनुमानजी के तंत्र शिक्षा दी।प्रेरक पौराणिक कथाओं के जरिए जीवन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने सूर्य देव से ही अध्यात्म की शिक्षा ग्रहण की। सूर्य देव से शिक्षा लेने के बाद उनकी वैचारिक शक्ति तो प्रबल हुई ही साथ में उन्होंने यहां शस्त्र शिक्षा भी ग्रहण की।
जिस तरह सूर्य देव संसार को प्रकाश देते हैं ठीक उसी तरह उन्होंने हनुमानजी को शिक्षा देकर प्रकाशवान कर दिया।